For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

​​​​​नारी
सबकुछ है नारीमें लेकिन एक कमी रहजाती है
उसकी सारी खूबियाँ केवल आँसूमें बहजाती है

वज्र के जैसा सीना उसका, अमीधार छलकाती है
सन्तानों के पालनमें ही,
अपना आप खपाती है
उससे ही परिवार पूर्ण फिर,आधी क्यों कहलाती है
सबकुछ है नारीमे लेकिन, एक कमी रहजाती है

हँसती है जब रोना होता, मौन रहे जब कहेना होता
परिणाम सबकी भूलोंका उसको ही क्यों सहेना होता
झूठी इक मुस्कान बस उसकी भेद सभी कहजाती है
सबकुछ है नारीमे लेकिन एक कमी रहजाती है

त्यागकी वह माना मूरत है, करूणा ही बरसाती है
माँ, बेटी, बहू, सास,बहन बन वह संसार चलाती है
सबका संबल बनजाती जो, खुद ही क्यों ढहजाती है
सबकुछ है नारीमें लेकिन एक कमी रहजाती है

जीवनदाता हर माताको, पीडाका वरदान मिला क्यों
जिनपर करती प्राण न्योछावर,उनसेही अपमान मिला क्यों
मर्यादाके नाम न जाने, सबकुछ क्यों सहजाती है

सबकुछ है नारीमें लेकिन एक कमी रहजाती है
उसकी सीरी खूबियँ केवल आँसुमें बह जातीं हैं

( मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kishorekant on August 2, 2018 at 7:23pm

आपका बहुत बहुत आभार बहन बबिता गुप्ताजी ।

नारी अगर आँसु त्यागकर अपनी अपार ऊर्जा  पर विश्वस करे तो वह जीवनके हर काम पुरुष समकक्ष होकर कर सकती है यह तथ्य अब केवल कथन नहीं वास्तविकता बन चूका है !

सादर 

Comment by Kishorekant on August 2, 2018 at 7:08pm

आपका तहे दिलसे शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब । प्रेरणा देते रहें ।

सादर ।

Comment by Samar kabeer on August 2, 2018 at 6:32pm

जनाब किशोर कांत जी आदाब,अच्छी कविता हुई,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on August 2, 2018 at 1:05pm

नारी महिमा की इस दुर्दशा की चाबी तो पुरुषप्रधान समाज के हाथों में थमी हुई हैं,हार्दिक बधाई उम्दा रचना के लिए आदरणीय सरजी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
4 seconds ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
2 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
4 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
5 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
7 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
23 minutes ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
24 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय भाई लक्ष्मण जी  हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
25 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल का प्रयास अच्छा है। सुझाव से यह निखर गयी है। इसका संज्ञान…"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई गजेंद्र जी, हार्दिक आभार।"
44 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service