For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2×16

इश्क रुई के जैसा है पर,ग़म से रिश्ता मत कर लेना.
लेकर चलने में आफत हो इतना गिला मत कर लेना.

एक समय ऐसा आता है, सूरज भी मुरझा जाता है,
चार दिनों की गर्दिश में तुम दामन मैला मत कर लेना.

लाख बहाने पास है उसके, अब तो खफा होने के मुझसे,
किंतु मना लेने में उसको अना को रुसवा मत कर लेना.

सबसे अच्छे शब्दों में तुम अपनी बात बता सकते हो,
लेकिन कोई समझ भी लेगा इसका भरोसा मत कर लेना.

व्याकुल माता बचपन से ही बच्चों को यह समझाती है,
कोई काम भी मेरे बच्चे ऐसा वैसा मत कर लेना.

छोटी सी तस्वीर थी तेरी,जिसको बटुए में रखता था,
अब वो कहाँ है मुझसे सुनकर,चेहरा रुखा मत कर लेना.

मिट जाना ही आखिर है तो फिर कोई समझौता क्यों हो,
अपने आदर्शों के बदले कोई सौदा मत कर लेना.

लिख देने से दिल की बातें बोझ ज़रा कम हो जाता है,
सबको दिल को हाल बताकर दिल से धोखा मत कर लेना.

कोई अंबर की खिड़की से झूठ व सच को नाप रहा है,
खुद को यह विश्वास दिलाकर खुद से छोटा मत कर लेना.

पेड़ पे जब फल आएंगे तो पत्थर भी आएंगे निश्चित,
दुनिया के व्यवहार से लेकिन फल को कड़वा मत कर देना.

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on November 6, 2019 at 12:11am

हार्दिक आभार सागर साहब

Comment by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 18, 2019 at 7:49am

बहुत सुंदर । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by मनोज अहसास on October 17, 2019 at 8:47pm

सादर प्रणाम आदरणीय कबीर साहब 

यकीनन आप बहुत ही ध्यान से सभी ग़ज़लें पढ़ते हैं आपकी सरपरस्ती में हम लोग सीख रहें हैं हमारे लिए ये सौभाग्य की बात है

बहुत बहुत आभार

Comment by Samar kabeer on October 17, 2019 at 11:35am

जनाब मनोज अहसास जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'सबको दिल को हाल बताकर दिल से धोखा मत कर लेना'

इस मिसरे में 'को' की जगह "का" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
23 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service