For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सो रही है दुनिया सारी

तुम हर पल क्यूँ सजग रहे 

कौन व्यथा है दबी हिय में 

किस अगन में संत्रस्त रहे |

घूर रहे क्यूँ रक्तिम चक्षु 

कुपित अधर क्यूँ फड़क रहे 

दावानल से केश खुले क्यूँ 

तन से शोले भड़क रहे |

प्रदूषण ने ध्वस्त किये 

जो, बहु  तेरे संबल रहे 

कतरा -कतरा टूट-टूट कर 

चुपके -चुपके पिघल रहे |

हे हिमगिरी,हे हिमनद   

पिघलते रहे जो 

यूँ ही अप्रतिहत      

प्रलय  भयावही आएगी  

जगत  जननी, पावन  धरिणी 

सब  जल  थल  हो  जायेगी |  

कष्ट निवारक ,विपदा हारक

हे  जगदीश ,हे  त्रिपुरारी 

उसे  जगा दो अपने बल से 

सो रही जो दुनिया सारी|

           *****

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on April 13, 2012 at 2:29pm
प्रदूषण ने ध्वस्त किये
जो, बहु तेरे संबल रहे
कतरा -कतरा टूट-टूट कर
चुपके -चुपके पिघल रहे |
हे हिमगिरी,हे हिमनद
पिघलते रहे जो
यूँ ही अप्रतिहत
प्रलय भयावही आएगी
जगत जननी, पावन धरिणी
सब जल थल हो जायेगीआदरणीया राजेश दी ,
वाह अतीव सुंदर रचना सुंदर भाव और शब्दों के साथ , पढ़ का अच्छा भी लगा और चिंता भी जगी , अगर गोबल वार्मिंग के कारण निकट भविष्य में ऐसा होता है जो होने वाला है तो इस प्रलय में कितनी जाने जाएँगी इस कल्पना से ही सिहर गयी , आपने बहुत ही गंभीर विषय हमारे बीच लाया आपका बहुत-२ धन्यवाद , इस जागरूकता की भी अतीव आवशयकता है... बधाई स्वीकार करें

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2012 at 10:24am

बहुत बहुत आभार राकेश त्रिपाठी  जी आपने बहुत सुन्दर पंक्तियाँ रची हैं सही कह रहे हैं गंगा की शुधि सफाई बहुत जरूरी है 

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 13, 2012 at 10:11am

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपको बधाई एवं अभिनन्दन आपसे प्रेरणा पा कर ४ लाइन लिख रहा हूँ, साथ साथ:

अगर गलाना है तो, दिलो में जमी बर्फ गलाओ,
ऊँच नीच, जात पात का दुर्गम फर्क हटाओ.
करो हिमालय की रक्षा, गंगा की जान बचाओं,
पालूशन को दूर करो, धरती को स्वर्ग बनाओ.  :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2012 at 9:57am

this picture is clicked by me.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2012 at 9:53am

harday se aabhari hoon Ajay ji is sarahna ke liye.

Comment by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 9:48am
bahut hi sundar kriti, namaskar aapki lekhni ko...

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2012 at 8:32am

सतीश मापतपुरी जी अहो भाग्य मेरे जो आपने मुझे इस लायक समझा हार्दिक आभार आपको| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2012 at 8:29am

हार्दिक आभार प्राची जी मेरी कविता का इतना सुन्दर विश्लेषण हेतु सच में ग्लोबल वार्मिंग एक ज्वलंत समस्या है जिसके लिए जागरूक होने की आवश्यकता है वर्ना ये प्राकर्तिक आपदाएं जो हाल ही में कितने देशों में देखी जा रही हैं इस प्रथ्वी इस मानव जीवन को ले डूबेंगी हाल ही की घटनाओं से उद्वेलित मन की कलम है ये |

Comment by satish mapatpuri on April 13, 2012 at 12:22am

प्रदूषण ने ध्वस्त किये

जो, बहु  तेरे संबल रहे

कतरा -कतरा टूट-टूट कर

चुपके -चुपके पिघल रहे |

यथार्थ चित्रण .......... आपकी सोच को सलाम राजेश कुमारी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service