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हाँ वो मेरी बेटी है

हाँ  वो  मेरी   बेटी  है  

जो  बगल  में  लेटी है  

मेरा  प्यार  है  वो  

जीवन  की  बहार  है  वो 

हमारे प्यार की   निशानी 

एक अनकही   कहानी   

खिलखिलाहट   उसकी  

दीवाना  करती  है  

जाएगी  दूजे  घर  

एक  डर  भरती   है  

खिली  इस  बगिया   में 

वो  उपवन  कैसा  होगा  

कली  मासूम  सी 

काँटों  मैं  घिरी  होगी

दूँगी  वो  शिक्षा 

होगी रात तो  

कभी सहर होगी  

दुआ  बाबुल  की  है 

सुखी संसार  होगा 

पति का घर उसका 

सुन्दर उपहार होगा 

इस कुल  उस कुल 

अटूट बंधन होगा 

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  

 

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Comment

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:29pm

धन्यवाद आदरणीय अरुणेन्द्र जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:29pm

धन्यवाद आदरणीय भ्रमर जी, प्रोत्साहन एवं स्नेह हेतु.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:27pm

धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:26pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार , आदरणीय अविनाश जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:24pm

धन्यवाद आदरणीय योगी जी स्नेह हेतु.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:23pm

धन्यवाद भाव को प्रधानता देते हुए सराहा. आदरणीय बाली जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:14pm

बेटी बोझ नहीं होती , आपने कीमती समय दे कर मेरा उत्साह बढ़ाया है , आभार आदरणीय उमा शंकर जी 

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 11:03pm

बेटी के जीवन के बारे में सोचने को मजबूर कर देने वाली रचना

बेटी के भविष्य की सोच पर दिल काँप उठाते हैं क्या होगा कल का

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

                                                                     हाँ  वो  मेरी बेटी  है   यहाँ मन को ठंडक महसूस हुई

बहुत  अच्छी रचना बधाई

Comment by MAHIMA SHREE on May 26, 2012 at 11:07pm
आदरणीय प्रदीप सर , सादर प्रणाम 
प्यार और आशीर्वाद से भरा भावुक अभिवयक्ति ...अनमोल है . जितना भी कहा जाये कम है / ह्रदय उरेल दिया है आपने ..
आपके भावनाओ को नमन /  
Comment by Rekha Joshi on May 26, 2012 at 6:42pm

आदरणीय प्रदीप जी ,बेटी तो घर की ख़ुशबू होती है ,बढ़िया पंक्तियाँ  

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  

 badhai


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