भोली जनता को नेता जी मूर्ख बनाना बंद करो।
जनता जाग गई अब दिल्ली धौंस दिखाना बंद करो॥
जन्तर मन्तर से जनता का आजादी अभियान शुरू।
झूठे वादे तानाशाही गया जमाना बंद करो॥
हम सब के मत से ही नेता तुम इतने मतवाले हो।
है तेरी कुछ औकात नहीं रौब दिखाना बंद करो॥
चूस रहे हो खून हमारा अब हमको अहसास हुआ।
शहद लगे विषधर डंकों को पीठ चुभाना बंद करो॥
हम सबके श्रम के पैसों से पाल रहे हो तुम गुण्डे।
परदे के पीछे से छुपकर तीर चलाना बंद करो॥
हुंकार उठे हैं अब प्यादें खैर मनाओ राजा जी।
शतरंजी भाड़े के घोड़ों कूद लगाना बंद करो॥
जब जब धरती के धूल उड़े तब-तब आंधी आयी है।
इसके आगे महल उड़े हैं सामियाना बंद करो॥
Comment
//हम सब के मत से ही नेता तुम इतने मतवाले हो।
है तेरी कुछ औकात नहीं रौब दिखाना बंद करो॥//
बिलकुल खरी खरी बात कही हैं भाई, मुझे एक वाक्या याद आ गया , नेता जी के पास उनके क्षेत्र का एक गरीब मदद मांगने गया , नेता जी इनकार कर गए , तब उस व्यक्ति ने कहा कि उसने उन्हें वोट दिया था, नेता जी बेय्हाई दिखाते हुए बोले ....अगली बार से मत दें ......
बहुत ही सुन्दर रचना, बधाई स्वीकार करें ।
tripathi ji aakrosh sateek hai badhai
जोश दिलाती हुई कविता सच्चाई के साथ ,बहुत बहुत बधाई
वाह ! खूब हुंकार भरी है !
इसके आगे महल उड़े हैं सामियाना बंद करो॥....... वाह ! वाह ! तेवर बना रहे !
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