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भोली जनता को नेता जी मूर्ख बनाना बंद करो।
जनता जाग गई अब दिल्ली धौंस दिखाना बंद करो॥


जन्तर मन्तर से जनता का आजादी अभियान शुरू।
झूठे वादे तानाशाही गया जमाना बंद करो॥


हम सब के मत से ही नेता तुम इतने मतवाले हो।
है तेरी कुछ औकात नहीं रौब दिखाना बंद करो॥


चूस रहे हो खून हमारा अब हमको अहसास हुआ।
शहद लगे विषधर डंकों को पीठ चुभाना बंद करो॥


हम सबके श्रम के पैसों से पाल रहे हो तुम गुण्डे।
परदे के पीछे से छुपकर तीर चलाना बंद करो॥


हुंकार उठे हैं अब प्यादें खैर मनाओ राजा जी।
शतरंजी भाड़े के घोड़ों कूद लगाना बंद करो॥


जब जब धरती के धूल उड़े तब-तब आंधी आयी है।
इसके आगे महल उड़े हैं सामियाना बंद करो॥

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Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 8:25pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी!रचना की सराहना के लिये आभारी हूं।अपना स्नेह यूं ही बनाये रखिये।सादर
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 8:25pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी!रचना की सराहना के लिये आभारी हूं।अपना स्नेह यूं ही बनाये रखिये।सादर
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 8:23pm
आदरणीय संदीप भाई जी!ललकार के साथ स्वर मिलाने के लिये आभारी हूं।सादर
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 8:22pm
भाई अरुण जी रचना के तेवर को सराहने के लिये आभारी हूं।सादर

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 7:20pm

//हम सब के मत से ही नेता तुम इतने मतवाले हो।
है तेरी कुछ औकात नहीं रौब दिखाना बंद करो॥//

बिलकुल खरी खरी बात कही हैं भाई, मुझे एक वाक्या याद आ गया , नेता जी के पास उनके क्षेत्र का एक गरीब मदद मांगने गया , नेता जी इनकार कर गए , तब उस व्यक्ति ने कहा कि उसने उन्हें वोट दिया था, नेता जी बेय्हाई दिखाते हुए बोले ....अगली बार से मत दें ......

बहुत ही सुन्दर रचना, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Dr.Ajay Khare on February 15, 2013 at 1:18pm

tripathi ji aakrosh sateek hai badhai


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 2:32pm

जोश दिलाती हुई कविता सच्चाई के साथ ,बहुत बहुत बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 14, 2013 at 1:40pm
जबरदस्त भाई विन्ध्येश्वरी जी ......................
जोरदार ललकार आपकी 
Comment by Arun Sri on February 14, 2013 at 1:04pm

वाह ! खूब हुंकार भरी है !
इसके आगे महल उड़े हैं सामियाना बंद करो॥....... वाह ! वाह ! तेवर बना रहे !

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