For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी गजल...

 

गर्मियों की शान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

धूप में वरदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

हर पथिक हारा थका, पाता यहाँ विश्राम है,

भेद से अंजान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

नीम, पीपल, हो या वट, रखते हरा संसार को,

मोहिनी,  मृदु-गान  है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

हाँफते विहगों की प्यारी, नीड़ इनकी डालियाँ,

और इनकी जान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

रुख बदलती है मगर, रूठे नहीं मुख मोड़कर,

सृष्टि का अनुदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

जो न साधन जोड़ पाते, वे शरण पाते यहाँ,

दीन का भगवान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

हे मनुष मिटने न दो, जीवन के अनुपम स्रोत को,

गूढ यह विज्ञान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

----कल्पना रामानी   

Views: 1140

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on April 17, 2013 at 7:18pm

राम शिरोमणि जी, मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि सक्रिय बनी रहूँ, छंद विधा में लिखना मेरा प्रिय शौक है, मेरी पुरानी रचनाएँ मेरे ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं। मेरे इसी नाम से आपको गूगल पर लिंक मिल जाएगी।  

Comment by कल्पना रामानी on April 17, 2013 at 7:17pm

आ॰ मित्रों, ब्रजेश जी, वंदना जी, गीतिका जी, राम शिरो मणि जी, रचना को अपना स्नेह प्रदान करने के लिए हार्दिक आभार....

 

Comment by वेदिका on April 17, 2013 at 6:08pm

सही ...शानदार ....मुकम्मल गज़ल पर शुभकामनायें स्वीकारिये आदरेया कल्पना जी!

Comment by ram shiromani pathak on April 17, 2013 at 12:35pm

आदरेया कल्पना जी,अति सुन्दर!///हार्दिक बधाई//आशा करता हूँ आपको निरंतर पढ़ने को मिलेगा //

Comment by Vindu Babu on April 16, 2013 at 10:56pm
आदरणीया कल्पना जी आज के घटते वनों की समस्या से निजात पाने हेतु सुन्दर प्रेरणाश्रोत सिद्ध हो सकती है आपकी गजल।
अन्तिम पंक्तियां अति सुन्दर!
Comment by बृजेश नीरज on April 16, 2013 at 6:12pm

आदरेया कल्पना जी इस सुन्दर रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें।

Comment by कल्पना रामानी on April 16, 2013 at 5:57pm

योगी सारस्वत जी, लक्ष्मण प्रसाद जी, प्राची जी, अशोक कुमार जी एवं कुंती जी, आप सबकी सस्नेह सुंदर टिप्पणियों से बहुत प्रोत्साहन मिला है, सभी नाम मेरे लिए नए हैं, कुछ गलत लिख दिया हो तो अवश्य अवगत कराएं। आप सबका हार्दिक धन्यवाद।

Comment by कल्पना रामानी on April 16, 2013 at 5:52pm

राजेश जी, यहाँ की कक्षा में आकार सीखते सीखते ही इस परिवार से जुड़ गई हूँ। अभी बहुत सीखना है। यहाँ बहुत अच्छा लगा।

 

रचना की प्रशंसा करने के लिए आपका हार्दिक आभार

Comment by राजेश 'मृदु' on April 16, 2013 at 5:39pm

कल्‍पना दी, आपको यहां देखकर बहुत प्रसन्‍नता हुई, आपकी हर रचना खूबसूरत होती है एवं यह भी इसका अपवाद नहीं, सादर

Comment by Yogi Saraswat on April 16, 2013 at 11:10am

नीम, पीपल, हो या वट, रखते हरा संसार को,

भूमि पर वरदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

हाँफते विहगों की प्यारी, नीड़ इनकी डालियाँ,

और इनकी जान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

रुख बदलती है मगर, रूठे नहीं मुख मोड़कर,

सृष्टि का अनुदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

 

जो न साधन जोड़ पाते, वे शरण पाते यहाँ,

दीन का भगवान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।

एक एक अलफ़ाज़ , एक एक शे'र सुन्दर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
48 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
53 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
56 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service