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भविष्य की कल्पना....हास्य व व्यंग

मैने पूछा-
बाबा
आप किस प्रांत से
आए हो
ये शक्तीमान जैसी
ड्रेस
किस दर्जी से
सिलवाये हो

उत्तर मिला-

उम्र से
दो सौ सत्तासी हूँ
नाम न्युटन
मंगल ग्रह का
वासी हूँ

मैने कहा- बाबा
अब कुछ परदा
हटा दीजिए
अपने ग्रह के
बारे मे
कुछ बता दीजिए

उन्होने कहा- बेटा

यहाँ और वहाँ मे
काफी अंतर है
यहाँ टोना टटका
तो
वहाँ छू मन्तर है

प्लेन की स्पीड से
वहाँ कार चलती है
यहाँ के
शेयर मार्केट
की तरह
वहाँ
सरकार बदलती है

यहाँ तो मिठाइयाँ
फिर भी सस्ते है
वहाँ तो
सूंघने के
पैसे लगते हैं

ढाबे पर
चाय की जगह
वाईन मिलती है
वहाँ
एल.पी.जी की जगह
आँक्सीजन की
लाईन लगती है

दिन भर मे
एक किलो
दवाइयाँ
चबाया जाता है
साथ मे
रोटी का एक टेबलेट
कैपस्यूल मे
दाल खाया जाता है

पेट्रोल घर के
नलकुम्पो मे आता है
पानी
मेडिकल की
दुकान पर
छोटे छोटे
ड्राँपों मे
पाया जाता है

लोगों मे
समय
इतना कम होता है
क्रिकेट
ज्यादा से ज्यादा
एक ओवर का होता है

वहाँ पर कमप्यूटर
खुलने को
तरसते हैं
क्योकि
अखबार जावा
तो मेग्जीन
C मे छपते हैं

वहाँ
मानव शरीर
के अंगो की
दुकान खुली है
खुद मुझे ही
हार्ट बदलवाने पर
एक किडनी
फ्री मिली है.

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by manoj shukla on April 16, 2013 at 6:29pm
आदर्णीय पटेल जी प्रशंशा हेतु कोटि कोटि आभार
Comment by manoj shukla on April 16, 2013 at 6:24pm
सादर आभार आदर्णीय गणेश जी.....
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 1:28pm

बहुत बढ़िया प्रयोग लगा ये हास्य का बहुत बहुत बधाई हो आपको आदरणीय सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2013 at 9:23am

खुद मुझे ही
हार्ट बदलवाने पर
एक किडनी
फ्री मिली है.....

हा हा हा हा , गज़ब, हास्य रस से सराबोर इस रचना पर बधाई, मनोज शुक्ला जी ।

Comment by manoj shukla on April 16, 2013 at 8:32am
स्नेह तथा प्रशंशा हेतु हार्दिक आभार भाई केवल प्रसाद जी
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 16, 2013 at 8:03am

 सुन्दर रचना!  बधाई स्वीकारें. सादर,

Comment by manoj shukla on April 16, 2013 at 7:56am
आदर्णीय अशोक जी.....आपका सादर आभार
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 16, 2013 at 7:48am

आदरणीय मनोज जी सादर, सुन्दर रचना कुछ बातों पर प्रश्न चिन्ह उभर रहे हैं. मगर हास्य की दृष्टि से सब ठीक है. बधाई स्वीकारें.

Comment by manoj shukla on April 16, 2013 at 6:53am
आदर्णीय जवाहर जी , आदर्णीया कौशिक जी.... ......सादर आभार
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 16, 2013 at 5:50am

बहुत ही रोचक और कटाक्षपूर्ण रचना!

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