For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : सांप्रदायिक (गणेश जी बागी)

त्रिपाठी जी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टी के नेता हैं । सुबह-सुबह अख़बार के साहित्यिक कालम मे प्रकाशित एक कहानी को पढ़ कर भड़के हुए थे । लेखक ने कहानी में एक मक्कार पात्र का नाम अल्पसंख्यक समुदाय से लिया था । बस नेता जी को उस कहानी मे सांप्रदायिकता की बू आने लगी | उन्होंने फ़ोन कर आनन-फानन में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगो को बुला लिया । लेखक का पुतला आदि जलाकर विरोध प्रकट करने की बात तय हो गयी | 

घर के नौकर छोटू ने नेता जी को सूचना दी, "मालिक मालिक, कुछ लोग आप से मिलने आए हैं "  
"तुम उन लोगो को बरामदे मे बिठाओ, शरबत-पानी पिलाओ, मैं तैयार होकर आता हूँ "
नेता जी तैयार होकर निकलने ही वाले थे कि उनकी नज़र छोटू पर पड़ी, "अरे.. ये स्टील के गिलासों में क्या लेकर जा रहा है, रे.. ! " 
"मालिक शरबत है, आपने ही कहा था न !" 
"पगलाया है का..? " नेता जी उसपर गरजे, "शरबत स्टील के गिलासों मे क्यों लेकर जा रहा है ? दिखता नहीं, वो लोग दूसरे धर्म के हैं ?.. वहाँ आलमारी में शीशे के गिलास पड़ें होंगे, ले जा उस में.. . "

  • समाप्त 
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघु कथा : रमजान
 

Views: 1361

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 30, 2013 at 8:50am

आदरणीय रविकर जी, आपसे सराहना पाना अच्छा लगता है, स्नेह बना रहे, आभार व्यक्त करता हूँ । 

Comment by vandana on August 29, 2013 at 7:45am

राजनीति में दोगलेपन पर सटीक व्यंग्य किया है आपने 

Comment by bodhisatva kastooriya on August 26, 2013 at 11:46pm

आदरणीय गणेश जी  बहुत ही सटीक व्यंग 

Comment by Ajitsinh Jagirdar on August 26, 2013 at 10:50am

दोगले राजकीय नेताओं की सच्चाई को उजागर करती चोट्दार लघुकथा ....प्रासंगिक....सदैव.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2013 at 10:55pm

ऊपर से सेक्युलर अन्दर से कुछ और वाह रे वाह इन डूएल करेक्टर वालों पर तीखा प्रहार करती लघु कथा ,बहुत बढ़िया हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी 

Comment by Neeraj Neer on August 25, 2013 at 8:53pm

कथा लघु पर भाव गंभीर, यही तथाकथित धर्म निरपेक्ष नेताओं की असलियत है , अपनी लघु कथा के माध्यम से उनके वास्तविक चरित्र को उजागर करने के लिए बहुत बहुत अभिनन्दन . लेकिन ये सब ज्यादा दिन चलने वाला नहीं , बस आगे २० से २५ साल और फिर सबकी कहानी ख़तम , फिर ये न कोई आन्दोलन करने की स्थिति में रहेंगे और न शरबत पानी पिलाने की स्थिति में . 

Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 3:45pm

      आदरणीय गणेश् बागी जी बहुत् ही यथार्थवादी सुन्देर कथा . गागर मे सागर भर दिया आपने . मेरा सौभाग्य आपके सौजन्य से सुन्दर यथार्थ का अवलोकन कर सकी .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2013 at 11:46pm

इस कथा का जन्म होना ही था. इसका जन्म लेना ओबीओ के एक संयत मंच के रूप में सामने आने और ससंदर्भ होने की उद्घोषणा है.

इस अति संवेदनशील तथ्य को इतनी गहराई और संयत ढंग से निभा ले जाने पर,भाई गणेश जी, आपको बार-बार बधाई दे रहा हूँ.

आपकी अबतक की सबसे सफल लघुकथाओं में से एक यह लघुकथा बहुत दिनों तक साहित्य के आंगन में उदाहरण सदृश होगी.

शुभ-शुभ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 22, 2013 at 11:06pm

भाई सिज्जू जी, आपकी टिप्पणी आगे और लिखने हेतु प्रेरित करती है, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार,मन मुग्ध है, सहयोग बना रहे । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 22, 2013 at 11:03pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, लघुकथा की आत्मा तक पहुँच कर आपने प्रतिक्रिया व्यक्त किया है, उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service