For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक खबर यह भी (लघु कथा )

सुबह सुबह न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था , कही पर चोरी की वारदात, कही रेप केस , तो कही हत्या। । आखिरी के पन्नो पर खेल समाचार …और  होता ही क्या है एक न्यूज़ पेपर के अंदर …और जाने कितनी  समाज सुधारक बातें मन में विचरण करने लगी। । कल्पनाओं   के समुंदर में गोते लगाने के बजाए मैं ऑफिस के लिए तैयार होने लगा। ….
.
घर से बाहर निकला ही था, कि मेरी नज़र एक कबाड़ बीनने वाले बच्चे पर गयी, जो सामने लगे विज्ञापन बोर्ड को बड़े ध्यान से देख रहा था…. आखिर वो क्या देख रहा था ? क्या पढ़ रहा  था ?  मेरे मन में उत्सुकता हुयी। …. मैं बच्चे के पास गया और पूछा "क्या कर रहा है यहाँ पर  ?" अचानक हुए इस वार से बच्चा पहले तो घबरा गया , और हडबडा कर बोल " नहीं, कुछ भी तो नहीं " …. मैं जानना चाहता था कि वो विज्ञापन बोर्ड पर क्या पढ़ रहा था, इसलिए मैंने प्यार से पूछा  " बता न यार , क्या देख रहा था, उस बोर्ड पर, वहां तो कोई तस्वीर भी नहीं है " बच्चे ने मेरे इस बर्ताव को देखकर, चेन की सांस ली और बोला " कुछ नहीं अंकल, " मैंने कहा " कुछ नहीं तो, इतनी देर से क्या देख रहा था इस बोर्ड पर" .....
.
बच्चे ने कहा " कुछ नहीं, ये जो अजीब सा बना होता है, वो मुझे बड़ा अच्छा लगता है," मैंने कहा " अरे इस पर तो कुछ नहीं बना हुआ है, तू किस की बात कर रहा है " तब बच्चा बोला " ये जो टेढ़ी मेडी डंडिया खिची हुयी है , मुझे बहुत अच्छी लगती है, आपको पता है अंकल, मैं रोज़ खाली  वक़्त में इन्हें बनाने की कोशिश करता हूँ "… बीच में टोकते हुए मैंने अपनी बात कही "जब ये इतना ही पसंद है तो स्कूल क्यों नहीं जाते !" उत्तर मिला " पूरे दिन कबाड़ में रहने के बाद अंकल, शाम की रोटी हो पाती है , माँ हमेशा बीमार रहती है और बापू नशे में," एक बार फिर उसकी बात काटी मैंने "पढना पसंद है तो , मैं तुम्हारी मदद करूँगा , रोज़ एक घंटे मेरे पास आना " मेरी बात पूरी नहीं होने दी नादान ने " हमारे यहाँ बच्चे स्कूल नहीं जाते, वो तो पैदा होते ही , पैसा कमाने लगते है, मोहल्ले में मेरा एक दोस्त है कल्लू , उसके घर पर सब बढ़िया है , फ्रिज , टेलीविज़न सब है, कोई दिक्कत नहीं , फिर भी स्कूल नहीं जाता , कबाड़ बीनता है क्योंकि  हमारे यहाँ सब यही काम करते है। । मैंने कई बार कहा कि मैं भी स्कूल जाना चाहता हूँ, तो सबने मेरा मजाक उड़ाया " और बोलते बोलते कब उसकी आँखों से आसू छलक आये , मैं कुछ कह पाता उससे पहले वो वहां से जा चूका था। ….
.
हमारे समाज का सबसे दुश्मन शायद यही है , जिस दिन न्यूज़ पेपर में इसके बारे में छपने लगेगा, तब और खबरे छपनी  बंद हो जाएँगी.... ...
मौलिक एवं अप्रकाशित 
सुमित नैथानी

Views: 933

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on September 4, 2013 at 1:52pm

केवल अपना मत रखना चाहती हूँ

विरोधाभास !!

//ये जो टेढ़ी मेडी डंडिया खिची हुयी है , मुझे बहुत अच्छी लगती है, आपको पता है अंकल, मैं रोज़ खाली  वक़्त में इन्हें बनाने की कोशिश करता हूँ//

------

//हमारे यहाँ बच्चे स्कूल नहीं जाते, वो तो पैदा होते ही , पैसा कमाने लगते है, मोहल्ले में मेरा एक दोस्त है कल्लू , उसके घर पर सब बढ़िया है , फ्रिज , टेलीविज़न सब है, कोई दिक्कत नहीं , फिर भी स्कूल नहीं जाता , कबाड़ बीनता है क्योंकि  हमारे यहाँ सब यही काम करते है।//

दोनों उद्बोधन एक ही बच्चे की अभिव्यक्ति नही प्रतीत हो रहे| जिस बच्चे को ये नही मालूम ये टेड़ी मेड़ी डँड़िया क्या है, उसे फ्रिज, टेलीवीजन, खाली समय, दिक्कत, सब बढ़िया,  हमारे यहाँ बच्चे स्कूल नहीं जाते,  इन बातों का ज्ञान कैसे हो गया !!!!

सादर !!

Comment by vijay nikore on September 4, 2013 at 1:24pm

कथा के भाव अच्छे लगे।  आपको बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 1:20pm

आदरणीय सुमित जी,

अच्छे भाव हैं आपकी लघुकथा के। इस प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई!

एक निवेदन है कि इस कथा को कुछ और समय दीजिए। कसावट की कमी है इस कथा में। कहीं कहीं टाइपिंग की गलतियां भी हैं। इस कथा में समाचार पत्रों को क्यों निशाना बनाया गया, यह समझ नहीं आया।

//उसके घर पर सब बढ़िया है , फ्रिज , टेलीविज़न सब है, कोई दिक्कत नहीं//

आपकी कथा का यह अंश आपको अतिशयोक्ति सा नहीं लगता?

Comment by Shubhranshu Pandey on September 4, 2013 at 11:53am

आ. सुमित जी, 

// मगर उद्देश्य मीडिया या नेता के बारे में जगजाहिर करना नहीं था// मैने भी अपने विचार में किसी नेता या मीडिया का नाम नहीं लिया है, ना ही ऎसी मेरी मंशा ही थी.

कथा समाचार के साथ शुरु हो कर विज्ञापन पर आती है और फ़िर एक समाचार के लिये अखबार तलाशती है, इसी तारतम्यता को बनाये रखने के लिये मैने विज्ञापन का सहारा लेने का विचार दिया था.

आज शहर या गावों में ’स्कुल चले हम’ और  ’सर्व शिक्षा अभिया’ के बैनर और पोस्टर देखने को मिलते हैं, लेकिन सच्चाई वो है, जिसका चित्रण आपने किया है...... वो बहुत सुन्दर है....

मैने तो बस, उस बच्चे की आँखो से, आँसू के कारण धुमिल हुये उस पोस्टर को पढने का प्रयास किया था. 

सादर.

 

Comment by Sumit Naithani on September 4, 2013 at 9:48am

मीना जी @ शुक्रिया 

Comment by Sumit Naithani on September 4, 2013 at 9:48am

 जितेन्द्र  जी @ शुक्रिया 

Comment by Sumit Naithani on September 4, 2013 at 9:47am

राजेश जी @ शुक्रिया 

Comment by Sumit Naithani on September 4, 2013 at 9:47am

लक्ष्मन जी @ शुक्रिया 

Comment by Sumit Naithani on September 4, 2013 at 9:46am

शुभ्रांशु जी@ कमी बताने के लिए शुक्रिया। …।मगर उद्देश्य मीडिया या नेता के बारे में जगजाहिर करना नहीं था, मैं तो बस एक बच्चे के मन में भाव दिखाना चाहता था, जो पढना तो चाहता है, मगर उसका खुद का और हमारा समाज रास्ते में आते है 

Comment by Sumit Naithani on September 4, 2013 at 9:40am

गिरिराज जी @ शुक्रिया ,…. बिकाऊ मीडिया के बारे में क्या कहु। ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service