For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : गिरगिट (गणेश जी बागी)

ल राज्य में आम चुनाव के परिणाम का दिन था लोटन दास 'चम्मच छाप' पार्टी का पक्का समर्थक था, 'चम्मच छाप" बिल्ला लगाए, झंडा और गुलाल लिए वो और उसके साथी मतगणना स्थल पर सुबह से मौजूद थें, उसकी पार्टी को शुरूआती बढ़त मिलने लगी, लोटन दास और उसके साथी पूरे उमंग में नारे लगा-लगा कर गुलाल उड़ाते हुए नाच रहे थे । 

किन्तु यह क्या ! दोपहर बाद 'थाली छाप' पार्टी ने बढ़त बना ली और अंततः समूचे राज्य में पूर्ण बहुमत से 'थाली पार्टी' की जीत हो गई । लोटन दास देर रात घर लौट आया, गुलाल से पूरी तरह सराबोर, उसके कुरते पर अब 'थाली छाप' बिल्ला अपनी चमक बिखेर रहा था । 

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : बहन जी

Views: 1132

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 3, 2013 at 5:39pm

आज की जनता और राजनीतिक पार्टीयों के समर्थको  पर एक बेहतरीन कटाक्ष ! और ये बेपेंदी के लोटे ही हमारे देश के विकास में बाधक है ! बहुत बहुत बधाई आपको ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2013 at 5:36pm

आदरणीय गणेश भाई जी , ढाल देख कर लुड़कने वालों पर बहुत सुन्दर लघुकथा , बहुत सुन्दर कटाक्ष !!!! दिली दाद कुबूल करें !!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2013 at 5:32pm

आदरणीय बागी जी ..वर्तमान परिदृश्य को दिखाती शानदार रचना ....पात्रों के नाम और हास्यात्मक शैली रचना में चार चाँद लगा रहे हैं ..आपको सादर बधायी के साथ 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 3, 2013 at 4:33pm

हाहाहा आदरणीय भ्राताश्री लोटन दास, 'चम्मच छाप', 'थाली छाप' पार्टी इस लघुकथा में हास्य पैदा तो ही रहें हैं साथ ही साथ लघुकथा में जान भी डाल दी है आपने इन शब्दों के उपयोग से. आनंद आ गया भाई जी बहुत बहुत बधाई स्वीकारें. जय हो

Comment by वेदिका on October 3, 2013 at 3:35pm

वाह !!चुटीली व्यंग कथा कही|

पात्रों के नामकरण भी यथोचित किये गये| वास्तविकता मे हास्य का पुट बिखेरती लघुकथा रचना!

बधाई आ0 बागी जी!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 3, 2013 at 3:29pm

** जिधर बम – उधर हम** । भारत की लगभग आधी आबादी का यही चरित्र है, आश्चर्य ये कि इसमें सुविधा सम्पन्न , शिक्षित लोटन दास ज्यादा हैं। ऐसे व्यक्तियों के कारण ही हम कई सौ बरस गुलाम भी रहे। ... बधाई गणेश भाई।  काश इसे लाखों लोटन दास पढ़्ते।   

Comment by coontee mukerji on October 3, 2013 at 1:18pm

ऐसा ही होता है.....'लाली देखन मैं गयी मैं भी हो गयी लाल.'


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2013 at 11:24am

हाहाहा ---बे पेंदी का लौटा इसे ही कहते हैं जब चाहे जहां लुढ़क जाओ जहां फायदा है वहीँ के हो जाओ ,बहुत सही कटाक्ष किया है वाह समसामयिक लघु कथा बहुत बढ़िया बधाई आदरणीय गणेश जी 

Comment by रविकर on October 3, 2013 at 11:04am

थाली का बैंगन बना, लोटे लोटन राम |
बढ़िया लागी लघु-कथा, हैं सटीक आयाम ||


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 3, 2013 at 9:27am

आदरणीय गणेश जी, "यथा नाम, तथा गुण" वाले पात्र के माध्यम से लघु कथा अपना संदेश दे गई. उत्कृष्ट कथा हेतु बधाइयाँ........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
6 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service