For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपनी  निगाहों से मेरा हर अक्श मिटाने चला है वो

दिल से अपने अब मेरा हर नक्श मिटाने चला है वो

 

मेरी महफ़िल की रंगीनियत कम होने लगी शायद   

इसलिए साथ गैरों के महफिलें सजाने चला है वो

 

उस शख्स की शख्सियत भी क्या होगी यारो

मोहब्बत से भरा एक शख्स मिटाने चला है वो

 

जिसने खुद ही जलाई थी मोहब्बत की शमा कभी

उस शमा की आखिरी लौ भी अब बुझाने चला है वो

 

और जिनकी रग-रग मैं हैं धोखे और फरेब भरे

साथ उनके अब यारियों निभाने चला है वो

 

**************************************************

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 889

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 1:04pm

भाई जीतेन्द्र जीत जी रचना आपने पसंद की इसके लिया आपका हार्दिक शुक्रिया ! 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 1:03pm

आपका तहे दिल से शुक्रिया कुंती मुखर्जी जी ....... 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 1:03pm

आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेई जी.... रचना आपको अच्छी लगी और आपने अपने बहुमूल्य विचार दिए उसके लिए हार्दिक आपका ! 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 1:01pm

सादर नमस्कार वीनस जी .... रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ... ! 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 12:58pm

महिमा जी आपका हार्दिक आभार ... रचना के प्रशंशा के लिए ! 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 12:57pm

आदरणीय गिरिराज जी ..... हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया आपका ! 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 12:56pm

भाई सुशील जोशी जी आपका हार्दिक आभार..... प्रोत्साहन के लिए !

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 12:49pm

आपकी बधाई सर आँखों पर अनुराग जी ....रचना से आप जुड़े इसके लिए हार्दिक आभार आपका .... आपकी दुखती रग को आराम मिले यही कामना आपके लिए ...... ! 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 12:47pm

आदरणीया मीना पाठक जी.... आपका हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए ....!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 12:00pm

बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीय सचिन जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service