For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! सत्य खुलकर पारदर्शी हो गई !!!

!!! सत्य खुलकर पारदर्शी हो गई !!!
बह्र - 2122 2122 212

आज कल की धूप हल्की हो गई।
रंग बातें अब चुनावी हो गई।।

आईना तो खुद बड़ा जालिम यहां
सत्य खुल कर पारदर्शी हो गई।

प्यार का अहसास सुन्दर सांवरा,
दर्द बाबुल की कहानी हो गई।

जब कभी उम्मीद मुशिकल से जगे,
आस्था भी दूरदर्शी हो गई।

आईना को तोड़कर बोले खुदा,
श्वेत दाढ़ी आज पानी हो गई।

शोर है कलियुग यहां दानव हुआ,
साधु सन्तों सी निशानी हो गई।

आज केवल धन गुमां अहसास है,
जोर की लाठी चलानी हो गई।

बोल 'सत्यम' सांस भी जब तक चले,
रहनुमा भी बेईमानी हो गई।

के0पी0सत्यम / मौलिक व अप्रकाशित

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 13, 2013 at 6:33pm

आ0 अरून अनन्त भाईजी,  आपके स्नेह हेतु आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 13, 2013 at 6:31pm

आ0 सुशील भाईजी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 13, 2013 at 6:29pm

आ0 सौरभ सर जी,  प्रस्तुत गजल पर आपकी विस्तृत चर्चा से मेरे मन की अशांति दूर हुई। अभी मुझे बहुत कुछ सीखना है, खास कर इनके दोषों के बारे में। आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 13, 2013 at 2:18pm

आदरणीय केवल भाई जी बहुत ही सुन्दर प्रयास किया है आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय श्री सौरभ सर की विस्तृत टिपण्णी पर गौर फरमाएं.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2013 at 10:04pm

आज कल की धूप हल्की हो गई।
रंग बातें अब चुनावी हो गई।।........... शुतुर्गुर्बा का दोष है सानी में. बातें के साथ क्रिया बहुवचन की होगी.

आईना तो खुद बड़ा जालिम यहां
सत्य खुल कर पारदर्शी हो गई।.......... सत्य का लिंग परिवर्तन हो गया है, यह तो एक बात. सत्य पारदर्शी ही होता है, केवल भाईजी.

प्यार का अहसास सुन्दर सांवरा,
दर्द बाबुल की कहानी हो गई।.........  .भावुकता ध्यानाकर्षित करती तो है.

जब कभी उम्मीद मुशिकल से जगे,
आस्था भी दूरदर्शी हो गई।................ इस शेर के उला में हुए दोष पर बात चल चुकी है, भाईजी. आपने यथोचित उत्तर भी दिया है, किन्तु उत्तर से मन संतुष्ट नहीं हुआ.

आईना को तोड़कर बोले खुदा,
श्वेत दाढ़ी आज पानी हो गई।............ इस शेर का स्पष्ट अर्थ मुझे नहीं सूझा.

शोर है कलियुग यहां दानव हुआ,
साधु सन्तों सी निशानी हो गई।........... बहुत खूब !!

आज केवल धन गुमां अहसास है,
जोर की लाठी चलानी हो गई।............... धन गुमां अहसास ! ऐसे प्रयोग से बचना उचित माना जाता है.

बोल 'सत्यम' सांस भी जब तक चले,
रहनुमा भी बेईमानी हो गई।..  .........  मक्ते से कुछ स्पष्ट नहीं हुआ.

भाई केवलजी, बह्र में मिसरों को रखना ग़ज़लकार पहला कर्तव्य है. परन्तु, इस ग़ज़ल को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों मात्राओं या वज़्न के हिसाब से मिसरों में शब्द भरे गये हैं. आप अपनी प्रस्तुति पर थोड़ा समय दें इसका सुझाव कई बार दिया जा चुका है. लिखने को तो हम सभी लिखते हैं. लेकिन उसके लिए तैयारी करना और संयत हो कर लिखना उचित माना जाता है.
शुभ-शुभ
 

Comment by Sushil.Joshi on November 12, 2013 at 9:25pm

आ0 केवल भाई..... भावों का सुंदर संप्रेषण है....... शिल्प के विषय में अनभिज्ञ हूँ इसलिए कुछ नहीं कहूँगा..... टंकण त्रुटियाँ आपकी मजबूरी है...... यदि थोड़ा सा प्रयास करें तो यूनिकोड इंस्टाल कर उसके की-बोर्ड पर हाथ बैठाएँ..... फिर परिवर्तित करने का सारा झंझट ही ख़त्म हो जाएगा.......

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 12, 2013 at 8:06pm

आ0 आशुतोष भाई  जी,   आपके स्नेह एवं गजल पर उत्साहवर्धन टिप्पणी हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 12, 2013 at 8:04pm

आ0 गीतिका जी,  आपके स्नेह  हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 12, 2013 at 8:03pm

आ0 मीना जी,  आपके स्नेह एवं गजल पर उत्साहवर्धन टिप्पणी हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 12, 2013 at 8:01pm

आ0 राम शिरोमणि भाई जी,  आपके स्नेह एवं गजल पर उत्साहवर्धन टिप्पणी हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service