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तुम्हारे बाहुपाश के लिए …

तुम्हारे बाहुपाश के लिए …….


कितने
वज्र हृदय हो तुम
इक बार भी तुमने
मुड़कर नहीं देखा
तुम्हारी एक कंकरी ने
शांत झील में
वेदना की
कितनी लहरें बना दी
और तुम इसे एक खेल समझ
होठों पर
हल्की सी मुस्कान के साथ
मेरे हाथों को
अपने हाथों से
थपथपाते हुए
फिर आने का आश्वासन देकर
मुझे
किसी गहरी खाई सा
तनहा छोड़कर
कोहरे में
स्वप्न से खो गए
और मैं
तुम्हें जाते हुए
यूँ निहारती रही
मानो
रूह जिस्म से
दगा कर गयी
किसी आशंका के चलते
मैं
पतझड़ में
वृक्ष से गिरे टूटे पीले पत्ते
की मानिंद
हवाओं के रहमो करम पर
टुकड़े टुकड़े बिखरने को रह गयी
उस झील को इक बार तो
मुड़कर देखते
उसके सीने पर
बेरहम वार से आहात
दर्द कितनी देर तक
लहरों में तैरता रहा
और उसमे
झिलमल करता
तुम्हारा शशांक
लहरों के साथ
दर्दीली छवि लिए
तुम्हारे
बाहुपाश के लिए मचलता रहा, मचलता रहा …………….


सुशील सरना

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 635

Comment

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Comment by Sushil Sarna on December 11, 2013 at 12:03pm

आदरणीय डा प्राची सिंह  जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु तहे दिल से शुक्रिया  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 10, 2013 at 7:08pm

सुन्दर अभिव्यक्ति ..

हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on December 9, 2013 at 4:54pm

aadrneey Meena Pathak jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 9, 2013 at 4:54pm

aadrneey Rahul Dev jee rachna par aapkee snehil pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 2:40pm

बहुत सुन्दर 
बधाई !

Comment by Sushil Sarna on December 9, 2013 at 1:17pm

aadrneey Coontee Mukerji rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 9, 2013 at 1:16pm

aadrneey Arun Sharma Anant jee rachna par aapke sneh ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 9, 2013 at 1:16pm

aadrneey Dr.Gopal Narain Shrivastav jee rachna par aapkee snehaash ka hardik aabhaar

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:57pm

बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय आपको बधाई

Comment by coontee mukerji on December 8, 2013 at 4:10pm

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

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