किसी गली के नुक्कड़ पर
लगा दीजिये
किसी भी प्रसिद्ध नाम का पत्थर
वो उस गली की
पहचान हो जायेगा
वो नाम
सबकी जान हो जायेगा
कभी गलती से
किसी ने अगर उस पत्थर को
तोड़ने की कोशिश भी की तो
दंगाईयों का काम
आसान हो जायेगा
जी हाँ
नेताओं के लिए
चुनाव के निशान
पुजारी के लिए
तिलक के निशान
उनकी जान होते है
उनके व्यवसाय की
पहचान होते हैं
जाने क्योँ
लोग वाह्य आवरण को
अपनी पहचान बनाते हैं
उधार के निशान से
अपने व्यवसाय की
मांग सजाते हैं
भूल जाते हैं
उन निशानों के
मूल रचयिताओं को
जो आज तक
उनकी कुर्बानियों से महान हैं
तभी तो आज तक
उन निशानों की
जन मानस में
अपनी विशिष्ट पहचान है
कुर्सी का आसन ग्रहण करने से
या तन पर वस्त्र धारण करने से
वाह्य पहचान तो बदल जायेगी
लेकिन अगर आचरण ही न बदला तो
यही पहचान
स्वयं को धोखा दे जायेगी
भरी महफ़िल में
किरकिरी करायेगी
किसी भी वस्त्र में फिर
नग्नता न छुप पायेगी
सिर्फ इक बार
निशान में छुपी महानता के अनुरूप
स्वयं को बदल कर देखो
फिर किसी उधार के निशान से
किरकिरी न हो पायेगी
स्वयं का आचरण ही
स्वयं की पहचान बन जायेगी,स्वयं की पहचान बन जायेगी…….
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
aa.Dr.Prachi Singh jee rachna par aapkee prashansa aur anmol sujhaavon ka haardik aabhaar-kripya sneh bnaaye rakhain
महान व्यक्तित्वों के नाम का छदम आवरण धारण करने वाले बहुरूपियों के लिए सुन्दर सन्देश देती रचना पर बधाई सुशील सरना जी..
इस अतुकांत अभिव्यक्ति में आपने कहीं कहीं तुकांतता का निर्वहन करके प्रवाह देने की कोशिश की है..फिर भी बीच बीच में कथ्य को सपाट बयानी सा भी प्रस्तुत किया गया है..जिससे बचने का प्रयास होना चाहिए.
वैसे ये सब सतत लेखन और अन्य अतुकांत प्रस्तुतियों को पढने से स्वतः ही सधता चला जाता है..
सादर शुभकामनाएं
आदरणीय कुंती मुख़र्जी जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु तहे दिल से शुक्रिया
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.
सादर
आदरणीयजितेन्द्र गीत जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार
आदरणीय शिज्जू शकूर जी रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार
आ. मीना पाठक जी रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार
बहुत बढ़िया , वर्तमान के सच को सुन्दरता से चित्रित करती हुयी कविता बधाई स्वीकारें आदरणीय शुशील जी
आदरणीय , बहुत सुन्दर कविता लिखी है , व्यंग भी है सच्चाई भी !!!! आपको बधाइयाँ !!!!
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