For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नूतन साल आया (गज़ल) - कल्पना रामानी

212221222122

 

पूर्ण कर अरमान, नूतन साल आया।

जाग रे इंसान, नूतन साल आया।

 

ख़ुशबुओं से तर हुईं बहती हवाएँ,

थम गए तूफान, नूतन साल आया।

 

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

कर विसर्जित अस्थियाँ गम के क्षणों की,

बाँटकर मुस्कान, नूतन साल आया। 

 

मन ये तेरा अब किसी भी लोभ मद से,

हो न पाए म्लान, नूतन साल आया।

 

पूछता है रब कि  तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

मनुजता तेरी, कहीं प्राणी  जतन बिन,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 879

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 2, 2014 at 11:31am

वाह वाह आदरणीया बेहद शानदार ग़ज़ल कही है आपने सभी शेर एक से बढ़कर एक लगे अंतिम शेर पुनः देख लें. इस उम्दा ग़ज़ल हेतु ढेरों दिली बधाई स्वीकारें.

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:17pm

आदरणीय जितेंद्र जी हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:17pm

आदरणीय नादिर खान जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:15pm

आदरणीय गिरिराज जी, हृदय से आभार

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:14pm

अदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:10pm

आदरणीया माहेश्वरी जी, सुदर प्रतिक्रियाके लिए सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:09pm

आदरणीया प्राची जी, उत्साह बढ़ती हुई सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 1, 2014 at 9:23pm

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

कर विसर्जित अस्थियाँ गम के क्षणों की,

बाँटकर मुस्कान, नूतन साल आया। 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

आपकी भावनाओं की स्पष्टता शुद्धता और ऊंचाई पर हर बार दिल वाह कर उठता है...

ये तीन शेर बहुत पसंद आये 

आपको इस ग़ज़ल की और नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीया कल्पना रामानी जी 

Comment by Maheshwari Kaneri on January 1, 2014 at 7:55pm

कल्पनाजी, नव वर्ष की शुभ कामनाओं  के साथ इस सुंदर रचना  की भी हार्दिक बधाई

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2014 at 1:00pm

आदरणीया  कल्पनाजी, नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ आपको इस अति सुंदर रचना  की भी हार्दिक बधाई॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
41 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"वाह वाह वाह... क्या ही खूब शृंगार का रसास्वाद कराया है। बहुत बढ़िया दोहे हुए है। आखिरी दोहे ने तो…"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, बहुत शानदार गीत हुआ है। तल्ला और कल्ला ने मुग्ध कर दिया। जो पेड़ों को काटे…"
53 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"वक्त / समय बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ ।। आदरणीय सुशील सरना…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service