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दोहे --मीना पाठक

हे भगवन वर दीजिए, रहे सुखी संसार |
घर परिवार समाज पे, बरसे कृपा अपार ||


दीन दुखी कोई न हो, ना सूखे की मार |
अम्बर बरसे प्रेम से, भरे अन्न भण्डार ||

कृपा करो हे शारदे, बढ़े कलम की धार |
अक्षर चमके दूर से, शब्द मिले भरमार ||

बेटी सदन की लक्ष्मी, मिले उसे सम्मान |
रोती जिस घर में बहू, होती विपत निधान ||

मीना पाठक 
मौलिक अप्रकाशित 

(दोहों पर एक छोटा सा प्रयास है )

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Comment by Meena Pathak on June 28, 2014 at 8:16pm

आदरणीय विजय प्रकाश जी ..आदरणीय रवि प्रभाकर जी ..आदरणीया महेश्वरी जी ..प्रिय अन्नपूर्णा जी आप सभी का बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 28, 2014 at 8:08pm

आदरणीय सुशील जी मर्गदर्शन हेतु हृदयतल से आभार.. क्षमा मांग कर शर्मिंदा न करे आप सब से ही सीख रही हूँ | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 28, 2014 at 8:03pm

आदरणीय विजय  शंकर जी आभार स्वीकारें | सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 28, 2014 at 1:31pm

आदरणीया मीना जी ..मानव मात्र के कल्याण की कामना करते इन तमाम शसक्त दोहों के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 27, 2014 at 11:24am

आ0 मीना बहन सुख समृ़द्व की कामना करते इन इनमोल दोहों के लिए कोटि कोटि नमन ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2014 at 11:59pm

बहुत ही सुंदर दोहावली, बधाई आदरणीया मीना दीदी

Comment by coontee mukerji on June 26, 2014 at 9:57pm

मीना जी, आपके लिखे दोहे बहुत सुंदर है. पढ़कर अच्छा लगा.....जैसे विद्व जनों ने कहा है. जाँज कर लिजियेगा. सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 26, 2014 at 12:35pm

मीना जी

मेरे दो सुझाव है i कृपया इन्हें अन्यथा न लीजियेगा i  पहले दोहे के दोनों सम छंदों में  सुखी और सुक्ख का प्रयोग कुछ खटकता है i फिर सुक्ख  तो गढ़ंत शब्द है i यहाँ पर 'कृपा' शब्द चल सकता है i  दूसरी बात 'बेटी घर की लक्ष्मी' में एक मात्रा  कम है i आपका दोहा-कृपा करो हे शारदे --- ' अति उत्तम है i सादर महनीया i

Comment by Pragya Srivastava on June 26, 2014 at 8:11am
अति सुंदर आ०मीना पाठक जी
Comment by नादिर ख़ान on June 25, 2014 at 9:52pm

बहुत उम्दा दोहे है, आदरणीय मीना पाठक जी ढेरों शुभकामनायें ...

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