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हैप्पी इंडिपेंडेंस डे , आज़ादी की वर्षगांठ मुबारक | आतिशबाजियां छुड़ाते और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए लोग चिल्ला रहे थे और एक दूसरे को इंडिपेंडेंस डे की शुभकामना भी दे रहे थे |
और सामने की मिठाई की दुकान पर छोटू दौड़ दौड़ कर लोगों को पानी दे रहा था और टेबल साफ़ कर रहा था |


( मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment by विनय कुमार on July 6, 2014 at 2:34pm

आभार डॉ गोपालजी , डॉ विजयजी और जितेंद्रजी..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 6, 2014 at 12:32pm

विनय जी

कथा बाल श्रम और शोषण का पर्दाफाश करती है i

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 6, 2014 at 11:50am
छोटू को तो आज़ादी नहीं मिली, पर मिली किसे ? सिर्फ नेताओं को और उसका भरपूर फायदा भी वहीउठा रहे हैं , आम आदमी तो अभी भी सबकुछ ढूंढ ही रहा है.
गंभीर लघु कथा के लिये बधाई.
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 6, 2014 at 11:18am

स्वतंत्रता तो सबके लिए होती है फिर बेचारा छोटू . यही तो बिडम्बना है इंसान अपनी आजादी और शौक में आँखे होते हुए भी अँधा बना रहता है .बहुत बढ़िया लघुकथा, बधाई आदरणीय विनय जी

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