For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सजा-ए-मौत लिख डाली

1222 1222 1222 1222

तेरी आँखों में डूबा था यही अपराध था मेरा
जरा सी बात पर तूने सजा-ए-मौत लिख डाली--1

ये बिखरी जुल्फ मैं तेरी ,सँवारू हाथ से अपने
मेरे जज्बात पर तूने सजा-ए- मौत लिख डाली--2

सिले हैं होठ क्यों तूने  शिकायत की बजह क्या है
मिलन की रात पर तूने सजा-ए-मौत लिख डाली--3

तेरे होठों से होठों को जलाकर देख लेता मैं
मगर हर-बात पर तूने सजा-ए-मौत लिखडाली--4

बडी मुश्किल से गुजरा था खिजाओं से भरा मौसम
मगर बरसात पर तूने सजा-ए-मौत लिख डाली--5

उमेश कटारा 
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 9:07am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 9:07am

आदरणीय khursheed khairadi जी शुक्रिया

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 8:54am

बडी मुश्किल से गुजरा था खिजाओं से भरा मौसम 
मगर बरसात पर तूने सजा-ए-मौत लिख डाली--5

आदरणीय उमेश जी उम्दा ग़ज़ल हुई है ,सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 12, 2015 at 8:05am

बहुत बढिया गज़ल कही भाई उमेश कटारा जी , हार्दिक बधाई ।

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 7:21am

आदरणीय  Hari Prakash Dubeyजी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 7:20am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 7:20am

आदरणीय  Shyam Mathpalजी आभार

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 7:19am

आदरणीय maharshi tripathi जी आभार

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 7:19am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 12, 2015 at 4:49am

आदरणीय उमेश जी खूबसूरत ग़ज़ल है....... बहुत सुन्दर बधाई आपको .... सादर 

जहाँ सुकरात पर तूने सजा-ए-मौत लिख डाली

नए हालात पर तूने सजा-ए-मौत लिख डाली

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी की समझाइश…"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें। हिज्र था हिज्र की सदा भी…"
22 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी आदरणीय अब देखियेगा हिज्र था हिज्र की सदा भी थी बे-क़रारी में इक ख़ला भी थी सादर 🙏"
31 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय सुरिंदर 'इन्सान' जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें। गुणीजनों…"
42 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी आदरणीय, आपकी बात सही है !"
3 hours ago
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"२१२२-१२१२-२२/११२ज़ीस्त ख़ामोशी थी सदा भी थीदर्द भी थी वही दवा भी थी (१) और कितना मैं झेलता उसकोबेहया…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल अभी समय चाहती है। मिसरों में परिपक्वता और रब्त की आवश्यकता…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है, पूरी ग़ज़ल रवानी में है, शे'र दर…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। //इक सिलाई मशीन उस के…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service