For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (ज़िंदगी के लिए )

ग़ज़ल (ज़िंदगी के लिए )

------------------------------

२१२ ---२१२ --२१२ --२१२

मेरे महबूब तेरी ख़ुशी के लिए ।

ले लिए हम ने गम ज़िंदगी के लिए ।

गौर से अपने कूचे पे डालें नज़र

मुंतज़िर है कोई आप ही के लिए ।

मुस्कराता रहे ज़ुल्म सह के सदा

कब है मुमकिन हर इक आदमी के लिए ।

इक क़लम और कागज़ ही काफी नहीं

लाज़मी है सनम शायरी  के लिए ।

ऐसे आशिक़ हुए हैं रहे इश्क़ में

जान दे दी जिन्होंने किसी के लिए ।

जो किसी से भी करता नहीं है वफ़ा

 हम ने उसको चुना दोस्ती के लिए ।

जो न कर पाए तस्दीक वादा वफ़ा

उसको चुनते हैं क्यों रहबरी के लिए

(मौलिक व अप्रकाशित )    

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:52pm

 मोहतरम जनाब  सुशील सरना   साहिब    , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:51pm

 मोहतरम जनाब  समर कबीर   साहिब  आदाब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:50pm

 मोहतरम जनाब  गिरिराज  साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 14, 2016 at 8:49pm

जनाब श्याम नारायण साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 2:34pm

मेरे महबूब तेरी ख़ुशी के लिए ।
ले लिए हम ने गम ज़िंदगी के लिए ।
गौर से अपने कूचे पे डालें नज़र
मुंतज़िर है कोई आप ही के लिए ।

वाह क्या खूब अहसास उकेरे हैं आपने आदरणीय .... दिली दाद कबूल फरमाएं।

Comment by Samar kabeer on July 14, 2016 at 12:25pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 12:00pm

आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़क हुई है , हरेक शेर बहुत उम्दा कहे हैं ! दिली मुबारक बाद कुबूल फरमायें ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 14, 2016 at 10:55am
बहुत खूबसूरत अशआर ...दिल से बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service