For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१. 

निद्राधीन निस्तब्धता

कुलबुलाता शून्य

सनसनाता पवन

डरता है मन

अर्धरात्रि में क्यूँ

कोई खटखटाता है द्वार

प्रलय, सोने दो आज

        ------

२.

मेरी ही गढ़ी तुम्हारी आकृति

बारिश की बूँदें

तुम्हारे आँसू

तुम्हारी खिलखिलाती हँसी

कल्पना ही तो हैं सब

वरना 

मुद्दतें हो गई हैं तुमसे मिले

          -----

३.

कभी अपना, कभी

अपनी छाया का भी 

वियोग

दर्द किसका

किसने किसको दिया

किसने ज़्यादा सहा

किसने ज़्यादा दिया

         ------

४.

रह गया है बस

सुनसान के संग

अजाना सुनसान

परिचित में  भी मानो

हैं सब अपरिचित

अवशेष है

परिचित उच्छवास

         ----

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 2, 2017 at 10:28am

इस रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी।

Comment by vijay nikore on August 2, 2017 at 10:27am

//आपकी क्षणिकायें गागर  मे सागर की अनुभूति  करा रहीं है ..//

आपके यह शब्द मुझको भावमुग्ध कर गए, आदरणीय भाई गिरिराज जी। हार्दिक धन्यवाद।

Comment by vijay nikore on August 2, 2017 at 10:19am

// अपना ही जिया हुआ अतीत कब स्वप्न सा लगने लगता है , जैसे था ही नहीं। कितना क्षणभंगुर //

आपसे मिली यह सराहना मेरे लिए बहुत निजी है, बहुत ही बहुमूल्य है। आपका आभार, आदरणीय विजय शंकर जी।

Comment by vijay nikore on August 2, 2017 at 10:16am

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी।

Comment by vijay nikore on May 14, 2017 at 10:09pm

इन क्षणिकाओं में निहित भावनाओं को महसूस करने के लिए आपका हॄदयतल से आभार, आदरणीय भाई समर कबीर जी।

Comment by vijay nikore on May 14, 2017 at 8:15pm
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उसमानी जी, रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार।
Comment by Sushil Sarna on May 9, 2017 at 9:33pm
Waaaaaaaah anupm aur aprtim prastuti sir haardik badhaaèeeeeeeeeee sir

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 8:02pm

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , आपकी क्षणिकाये गागर  मे सागर की अनुभूति  करा रहीं है .. गहन एकाकीपन को चित्रित करती आपकी क्षणिकाओं के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Samar kabeer on May 8, 2017 at 6:28pm
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,सभी क्षणिकाएं गम्भीर सोच का परिणाम हैं जो सबको मयस्सर नहीं आतीं,बहुत ख़ूब वाह, इस सुंदर प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 8, 2017 at 7:34am
अपना ही जिया हुआ अतीत कब स्वप्न सा लगने लगता है , जैसे था ही नहीं। कितना क्षणभंगुर।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आदरणीय विजय निकोर जी , बधाई , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
11 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service