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दुनिया की सबसे छोटी कविता "एकादशी" (सिर्फ ११ अक्षर) का सूत्रपात OBO पर...

(१)          यमुना                                                                                           
निर्मल जल
खो गया
(२)
निशानी
ताज महल
प्यार की
(३)
आगरा
खुबसूरत
घूम लो
(४)
पत्थर
हुआ क्षरण
बचालो
(५)
योजना
कागज़ पर
सफल
(६)
यमुना
जल विहार
भूल जा
(७)
ओबीओ

साहित्य चर्चा
जय हो

(गणेश जी "बागी")

साथियों !
प्रतियोगिता "चित्र से काव्य तक" अंक ३ के तीसरे दिन श्री गणेश जी "बागी" ने साहित्य की एक नई विधा "एकादशी" का सूत्रपात किया, यह कविता का अति लघु रूप है, एकादशी तीन पक्तियों में लिखी गई ३+५+३=११ अक्षर की दुनिया की सबसे छोटी कविता है |

 

अब तक ज्ञात जानकारी के अनुसार दुनिया की सबसे छोटी कविता "हाइकु" कही जाती थी जिसका सूत्रपात जापान से हुआ, इसमें कुल तीन पक्तियों में ५+७+५=१७ अक्षर में कविता लिखी जाती है |

 

किन्तु अब सिर्फ ११ अक्षरों में एकादशी कविता लिख कर श्री गणेश जी "बागी" ने साहित्य की नई विधा का सृजन कर दिया है | ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार इस उपलब्धि पर गौरवान्वित है | आप सभी को बहुत बहुत बधाई |

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 7, 2013 at 8:04pm

आभार आदरणीय अतुल शुक्ल जी |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 7, 2013 at 7:47pm

बहुत बहुत बधाई हो आदरणीय गणेश बागी सर जी ....................वाह वाह बड़ा रोमांचित करता हूँ नव सृजन है

बारम्बार बधाई सर जी

Comment by राजेश 'मृदु' on February 7, 2013 at 7:41pm

एकदम से चौंक गया । एक जिज्ञासा, क्‍या यह शास्‍त्रीय विधा है या फिर आदरणीय गणेश जी ने ही इसका सूत्रपात किया है । यदि गणेश जी ने ही सूत्रपात किया है तो उनसे मेरा निवेदन है कि इसके नियम भी साझा करें ताकि हम भी लाभ उठा सकें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 7, 2013 at 7:26pm

एकादशी रच दुनिया को सबसे छोटी काव्य रचना देने के लिए ढेरों बधाइयां आदरणीय श्री गणेशजी बागी जी 

यह तो इस ओबॆओ मंच की भी उपलब्धि हो गयी  

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2013 at 7:18pm

एकादशी नव विधा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on February 7, 2013 at 7:12pm

नवीन विधा के सृजन पर अनेकानेक बधाईयां आद. भाई गणेश जी को!

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 23, 2012 at 7:26pm
बागी जी
एकादशी को
बधाई।

सृजन
लीक से भिन्न
नमन।

ये छन्द
सबसे छोटा
जग में।

भारत
पर बड़ा हो
सबसे।

काश हो
हिन्दुस्तान में
कुछैसा।
(कुछ+ऐसा)

जय हो
जय ओ.बी.ओ.
आपकी।
Comment by atul shukla on July 1, 2011 at 12:36pm

Aadrniya bagi ji,bahut-bahut badhaiyan


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 30, 2011 at 6:41pm
आदरणीय ब्रिजेश भाई साहब, सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद |
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on June 30, 2011 at 3:28pm
कविता की इस नवीन विधा का स्वागत ....चंद अक्षरों में पूरा भाव प्रक्षेपण... यह तो कमाल है बधाई गणेश जी   

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