For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मचल उठा जो दिल जवां ख़ुदा न ख़्वास्ता (ग़ज़ल 'राज')

1212  1212  1212  12

बहक गया अगर समां ख़ुदा न ख़्वास्ता 
बिखर गया अगर जहाँ ख़ुदा न ख़्वास्ता

चिराग़ हम लिये खड़े यही तो सोचकर 
भटक गया जो कारवाँ ख़ुदा न ख़्वास्ता 

उठाना मत सनम निकाब मुझको देखकर 
मचल उठा जो दिल जवां ख़ुदा न ख़्वास्ता

पता चमन का तुम उसे न देना दोस्तों 
इधर मुड़ी अगर खिजाँ ख़ुदा न ख़्वास्ता

किया क्या इंतज़ाम आग को बुझाने का 
अगर उठा कहीं धुआँ ख़ुदा न ख़्वास्ता

उड़ी हुई मेरी है नींद इस ख़याल से 
बढ़ी जो अपनी दूरियां ख़ुदा न ख़्वास्ता

मिलेगा ख़ास इक सुकूं मेरे रफ़ीक को 
गिरे मेरा जो ये मकां ख़ुदा न ख़्वास्ता 

राजेश कुमारी राज 

Views: 852

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 15, 2018 at 10:18pm

आद० सतविन्द्र भैया आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ दिल से शुक्रगुज़ार हूँ 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 13, 2018 at 7:55pm

आदरणीया राजेश दीदी, उम्दा गजल हुई है। हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 12, 2018 at 11:18am

आद० विजय निकोर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया मेरी ग़ज़ल आपको पसंद आई .

Comment by vijay nikore on June 12, 2018 at 10:09am

इस प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2018 at 7:43pm

आद० नीलम जी आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2018 at 7:42pm

आद० तेजवीर सिंह जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से शुक्रिया आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2018 at 7:41pm

आद० महेंद्र कुमार जी आपने सच कहा इस रदीफ़ ने बहुत पकाया बहुत बार लिख लिख कर मिसरे फाड़े तब जाकर बहुत मुश्किल से बन पाई क्यूंकि रदीफ़ के साथ न्याय होना बहुत जरूरी था .आपको पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया को सकता है कुछ वक्त के बाद बेहतर मतला दिमाग में आ जाए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2018 at 7:38pm

आद० रक्षिता जी तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2018 at 7:38pm

आद० सत्यनारायण सिंह जी आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया .



सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2018 at 7:37pm

आद० मोहम्मद आरिफ जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से शुक्रगुज़ार हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
34 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
36 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
36 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
40 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
42 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
43 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
2 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service