दोहे लिखने की मेरी पहली कोशिश है
घूम - घूम के देश मे, बाँट रहा है ज्ञान।
बातें कड़वी बोलता, सत्य उसे ना मान।।
अपना सीना तान के, करे शब्द से वार।
अन्धे उसके भक्त हैं, करते जय जयकार।।
बाँटे अपने देश को, लेके प्रभु का नाम।
उसको आता है यही, अधर्म का ही काम।।
यही देश का भाग है, यही देश का सत्य।
कोई आगे आय ना, नाग करे सो नृत्य।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
संशोधन के पश्चात पुनः दोहे प्रस्तुत कर रहा हूँ फिर से गौर फरमाइयेगा
Comment
सुंदर दोहावली पर बधाई स्वीकारें आदरणीय शिज्जू जी
दोहों के लिए बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय शिज्जू जी ... आप का प्रयास गुणीजनों तक पहुँचा तो सही
प्रतिदिन के अभ्यास से ,बढता है निज ज्ञान!
हो जायेंगे आप सफल,रहें सदा गतिमान !!//////////////हार्दिक बधाई शिज्जु भाई॥
सबको मूर्ख समझ के, करे शब्द से वार /// सबको मूरख जान के, करे शब्द से वार
अंध भक्त के बीच सुने, अपनी जय जयकार /// अंध भक्त के बीच में , अपनी जय जयकार
सुंदर प्रयास की हार्दिक बधाई शिज्जु भाई॥
आदरणीय गिरिराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया त्वरित प्रतिक्रिया के लिये स्नेह बनाये रखें
आदरणीय शिज्जू भाई , छंद प्रयास के लिये आपको बहुत बधाइयाँ , प्रथम प्रयास बहुत सफल है । एक दो जगह मात्रा कम जादा है , एक दो जगह गेयता बाधित है ॥ मै भी सिखाड़ी ही हूँ , फिर भी बताने का प्रयास कर रहा हूँ - सबको मूर्ख समझ के, 12 मात्रा हो रही है , मूरख करने से ठीक आ रहा है
अंध भक्त के बीच सुने - 14 मात्रा , इसे सुधार लीजिये ।
प्रभु का लेके नाम -- को -- लेके प्रभु का नाम --- करने से गेयता सुधर जायेगी
उसको आता यही बस, अधर्म का ही काम ----इसको - उसको आता है यही , बस अधर्म का काम -- करने से गेयता सही आयेगी ।
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