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वह मेरा मेहमान भी जाता रहा
दिल का सब अरमान भी जाता रहा

अब सुनाउगा किसे मै हाले दिल
हाय वह नादान भी जाता रहा

हुस्न तेरा बर्क के मानिंद है
उफ़ मेरा ईमान भी जाता रहा

वह बना ले गए हमे अपना अज़ीज़
अब तो यह इमकान भी जाता रहा

दिन गए अलीम जवानी के मेरे
आँख पहले कान भी जाता रहा

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Comment by दुष्यंत सेवक on May 20, 2010 at 1:55pm
हुस्न तेरा बर्क के मानिंद है उफ़ मेरा ईमान भी जाता रहा umda aala behtareen ...
दिन गए अलीम जवानी के मेरे
आँख पहले कान भी जाता रहा
aur ye jo behtareen fusion kiya hai apne shringar aur hasya ka adbhut hai ....:)
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 20, 2010 at 12:01pm
वह बना ले गए हमे अपना अज़ीज़
अब तो यह इमकान भी जाता रहा\
bahut hi badhiya gajal hai aleem jee....aisehi likhte rahe.,...
Comment by Chhavi Chaurasia on May 20, 2010 at 11:14am
वह मेरा मेहमान भी जाता रहा
दिल का सब अरमान भी जाता रहा, बहुत अच्छा लगा, ख़ासकर... दिन गए अलीम जवानी के मेरे
आँख पहले कान भी जाता रहा.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 20, 2010 at 6:51am
kya baat hai, bahut hi achhi ghazal kahi hai Aleem Bhai, aek baar phir aap ki yey sunder rachna ham logo key bich hai, Shukriya,
Comment by Admin on May 19, 2010 at 11:31pm
वह मेरा मेहमान भी जाता रहा
दिल का सब अरमान भी जाता रहा

अब सुनाउगा किसे मै हाले दिल
हाय वह नादान भी जाता रहा
वाह अलीम जी वाह , आप ने काफ़ी अच्छी ग़ज़ल लिखी है, बहुत खूब, एक निवेदन है की उर्दू के कुछ कठिन लफ्जो के हिंदी अर्थ को ग़ज़ल के अंत मे यदि लिख दिया करे तो समझने मे आसानी भी होगी और उर्दू शब्दों को सीखने का मौका भी, बहुत बहुत धन्यवाद इस खुबसूरत पोस्ट के लिये,

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