For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"नज़रिया" - [लघु कथा - 16]

"नज़रिया" - (लघु कथा)

एक दिन बेडरूम में काली चीटियों के झुंड को देखकर शीनू ने अपने पिता जी से कहा-" पापा, दीवार पर ये इतनी सारी चीटियां लाइन बनाकर कहां जा रही हैं, उनके तो मुँह में भी कुछ है !"

"बेटा, वे अपने भोजन का इन्तज़ाम कर रही हैं, लगता है कुछ 'जुगाड़' हो गया है।"

"जुगाड़ ! जुगाड़ में इतनी सारी चीटियां इकट्ठा ! जैसे कि कोई 'दावत' या 'भोज' हो रहा हो !"

"हाँ बेटा, ये चीटियां मिल जुलकर अनुशासन में खाना शेयर करती हैं। देखो, पूरा परिवार ही नहीं, पूरा ख़ानदान इकट्ठा हो गया है यहाँ।"

"नहीं पापा, इस 'रिसेप्शन' में कुछ परिचितों के साथ कुछ 'बिन बुलाए मेहमान ' भी तो होंगे !"

"हाँ ,वो देखो, एक कीड़े की 'लाश' ! ,"

"पापा, इस कीड़े की 'हत्या' की गई है, या फिर ये कोई 'सुसाइड' का केस है ? "

" नहीं बेटा, इसे किसी और ने मारा होगा, या कोई 'दुर्घटना' हो गई होगी !"

"छोड़ो पापा, सरकार 'जांच समिति' बिठा देगी या सीबीआई से जांच करा लेगी ! अपन तो ये देखो कि कैसे पूरा का पूरा ख़ानदान लूटने खाने को भिड़ा हुआ है। कहीं ये काली चीटियां 'आइ.एस.आइ.एस.' की तरह काम तो नहीं करतीं ?"

"बहुत हो गया बेटा, अब सो जाओ।"

" अच्छा पापा, ये तो बताओ कि इस कीड़े का यह ' देहदान' हो रहा है या 'अंगदान' !"

" नहीं बेटा, कीड़ा तो बेचारा मर गया था, ये तो चीटियों की 'दावत' चल रही है !"

"पापा, नेताओं, एक्टरों जैसी या 'भण्डारा' या फिर ' रोज़ा-अफ्तार' जैसी ?"

"नहीं, मुझे तो ये 'सेना' के अनुशासन जैसी 'सेल्फ़- सर्विस' जैसा कुछ लगता है ! तुम खुद देख लो , कितनी अनुशासित हैं वे चीटियां !" -इतना कहने के बाद पिताजी कुछ बोलने ही वाले थे कि शीनू बोल पड़ा- " अगर चीटियां इतनी अनुशासित हो सकती हैं तो हम और हमारे देश के नेता क्यों नहीं ?"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 14, 2015 at 1:29pm
हौसला अफज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. कंवर करतार जी।
Comment by कंवर करतार on October 13, 2015 at 9:32pm

शेख उस्मानी भाई ,अति खूबसूरत  रचना के लिए बधाई I

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 13, 2015 at 6:00pm
शुक्रिया हौसला अफज़ाई हेतु आदरणीय Tej Veer Singh जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 13, 2015 at 1:26pm

बधाई शेख उस्मानी जी!बेहद खूबसूरत लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी तरही मिसरे पर आपने ख़ूब ग़ज़ल कहीं। हार्दिक बधाई। अमित जी की टिप्पणी के अनुसार बदलाव…"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, मेरा आशय है कि लिख रहा हूँ एक भाषा में और नियम लागू हों दूसरी भाषा के, तो कुछ…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"... और अमित जी ने जो बिंदु उठाया है वह अलिफ़ वस्ल के ग़लत इस्तेमाल का है, इसमें…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
".हम भटकते रहे हैं वहशत में और अपने ही दिल की वुसअत में. . याद फिर उस को छू के लौटी है वो जो शामिल…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. संजय जी,/शाम को पुन: उपस्थित होऊंगा.. फिलहाल ख़त इस ग़ज़ल का काफ़िया नहीं बनेगा ... ते और तोय का…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//चूँकि देवनागरी में लिखता हूँ, इसलिए नस्तालीक़ के नियमों की पाबंदी नहीं हो पाती है। उर्दू भाषा और…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी, //अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए, अब जब कि जान जाना…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service