हमको बहुत लूटा गया,
फिर घर मेरा फूंका गया.
झगड़ा रहीम-औ-राम का,
पर, जान से चूजा गया.
दर पर, मुकम्मल उनके था,
बाहर गया, टूटा गया.
भारी कटौती खर्चो में,
मठ को बजट पूरा गया ,
मजलूम बन जाता खबर,
गर ऐड में ठूँसा गया. (ऐड = प्रचार/विज्ञापन/Advertisement)
उत्तम प्रगति के आंकड़े,
बस गाँव में, सूखा गया.
वादा सियासत का वही,
पर क्या अलग बूझा गया!!
है चोर, पर साबित नहीं,
दरसल, वही पूजा गया.
माझी, सयाना वो मगर,
मन से नहीं जूझा, गया.
----------- अगर ये गजल व्याकरण की दृष्टि से सही है, तो श्री सौरभ जी को समर्पित.
Comment
आदरणीय मयंक भाई, सादर नमस्कार, उत्साह वर्धन के लिए आभार.
आदरणीय राकेश भाई...आपकी दोनों ही रचनाएं हमको यहाँ लूटा गया और हमको बहुत लूटा गया मैंने अभी पढ़ीं हैं|एक से बढ़कर एक उम्दा शेर|सादर वंदे
आदरणीय शाही जी, सादर नमस्कार, आपका कमेन्ट मिला और रचना में एक और आयाम जुड़ गया. यही एक शुभचिंतक आलोचक की पहचान है. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीया सीमा जी, सादर नमस्कार. आप लोगो के सानिध्य में आ के पत्थर भी कवितायेँ लिखने लगे, म तो इंसान हूँ, इस मंच पर सब कुछ है, प्रेम, गुरु, उत्साह. तो बस यहीं डेरा जमा के बैठेंगे जब तक ढंग का कुछ सीख न लें. आप के द्वारा की गई तारीफ एक नव रचनाकार के लिए पुरस्कार के सामान है. धन्यवाद.
बस एक ही शब्द है मेरे पास राकेश भाई! लाजवाब!! आपकी कड़ी मेहनत रंग ले ही आई! बधाईयां..!!
श्रद्धेय श्री प्रदीप जी, सादर प्रणाम. आपकी समस्त बातों का मै दिल से पालन करनेकी कोशिश करूँगा. मार्गदर्शन बनाये रखे. धन्यवाद.
स्नेही राकेश जी, सादर
श्रीमान नीरज जी, सादर नमस्कार एवं धन्यवाद.
श्रद्धेय श्री योगराज जी, सादर नमस्कार. आपकी तारीफें एवं सलाहें दोनों ही अनमोल हैं मेरे लिए. आप दोनों लोगों ने जिस तरह से काव्य एवं व्याकरण की सक्षम बारीकियों से मुझे अवगत कराया है, उस की 'practice' करता रहूँगा, इन सब बातों को आत्मसात करने के लिए हर किसी को वक्त लगेगा, किन्तु आगे से अन्य रचनाओं के लिए एक उदाहरण सदैव सामने रहेगा. आप लोग मुझ पर जो इतनी मेहनत और कृपा दिखा रहे हैं, वह कतई बेजा नहीं jaane dunga, itana irada aur vaada rakhta hun, punah saadar pranaam.
गरिमामयी श्रीमती राजेश कुमारी जी, सादर नमस्कार. आपका 'वाह' रूपी आशीर्वाद एवं गुरुजनों की मेहनत जरूर रंग लाएगी, इतना मुझे विश्वास है. धन्यवाद.
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