साल पहले विद्यालय दफ्तर में
“सर, मैं अंदर आ सकती हूँ ?”
“बिल्कुल !” मि.सुरेश एक बार उस नवयुवती को ऊपर से नीचे तक देखते हैं और फिर उसकी तरफ प्रश्नसूचक निगाह से देखते हैं |
“सर ,मुझे इस स्कूल में नियुक्ति मिली है |” वो बोली
“बहुत बढ़िया !बैठो अभी प्रधानाचार्य आते हैं तो आपको ज्वाइन करवाते हैं |” प्रफुल्लतापूर्वक मि.सुरेश बोले
“वैसे कब और कहाँ से की है बी.एड.?” उन्होंने अगला सवाल किया
“इसी साल,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से - -“उसने बड़ी सौम्यता से जवाब दिया
“अभी तो कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किया होगा ?”
“जी सर |”
“क्या नाम है तुम्हारा ?”
“मीना गौतम |”
“वो Sअ एस.सी. कोटे से हो !” कुछ-कुछ नाक उचकाते हुए बोलते हैं |
तभी प्रिंसिपल महोदय का प्रवेश होता है |
“लीजिए सर ,आपकी एक अध्यापक की कमी तो पूरी हुई |विभाग ने इन्हें भेजा है |”
“चुप्प करो ||इस लड़की को सफाईकर्मी के तौर पे भेजा गया है |कम से कम नियुक्ति पत्र तो देख लेते ”प्राचार्य श्री मदन श्रीवास्तव ने बिगड़ते हुए कहा |
“मुझे क्या मालूम !इसे बताना था ना - - -“झल्लाते हुए वो उस लड़की की तरफ देखते हैं और जाने के लिए उठते हैं |
“अब कहाँ चले ?चलो इसकी ज्वाईनिंग लिखो |”प्राचार्य ने आदेशात्मक भाषा में बोला
“ला,मीना अपना नियुक्ति आदेश दे |”मि.सुरेश बोले |
“ठीक है मीना,अब तुम आशा से मिल लो और अपना काम समझ लो |वो बाहर डेस्क पर बैठी है|और एक बात| गलत मत मानना पर|ये स्टाफरूम अध्यापकों के लिए है |” श्रीवास्तव जी ने नारजगी से कहा |
“आप जैसे लोगों की वजह से ये सिर चढ़ रहे हैं |इतनी हिम्मत की कुर्सी पर बैठ गई |”मि.सुरेश ने उस कुर्सी को टेबल से दूर करते हुए कहा |
कुछ देर बाद
“सुरेश जी,ये गैलरी में खड़ी नई सुन्दरी कौन है ?”सुरेश के क्लासरूम में घुसते हुए डबराल ने पूछा |
“हर जगह जीभ मत लपलपाया करो ,मिस्टर हिमेश रेशमिया ,वो भंगिन है,स्कूल की नई स्वीपर |”
“हाय!भगवान भी क्या नाइंसाफी करता है !ऐसी हूर और- - - !मेरी बीबी भी तो इसके आगे कुछ भी नहीं है |”
“जो भी हो इस लड़की से दूर ही रहना - -- |वैसे भी आजकल कानून भी इन्ही लोगों के पक्ष में है |”
“सुरेश सर,आपको प्रिंसिपल साहब ने बुलाया है |” आशा ने आकर व्यवधान डाला |
“सुरेश जी,विभाग से बड़े साहब का फ़ोन आया था |कह रहे थे कि मीना उनकी साली की लड़की है और विभाग अनुबंध अध्यापकों की सूची तैयार कर रहा है उसमें उसका भी नाम है|तब तक एडजस्ट करना है |”प्रिंसिपल ने मुँह लटकाते हुए कहा |
“अब साहब से पंगा तो ले नहीं सकते |तब तक इन्हें बिना पेपर के अपग्रेड कर देते हैं |सफ़ाई ना करवाकर उन्हें क्लास दे देते हैं |वैसे भी हाथी के पाँव में अपना पाँव ” मि.सुरेश ने सरल समाधान दिया
“खबर बाहर चली गई तो ?समझते हो ना ! लिखित में तो हमारे पास कुछ नहीं है |”
“ऑर्डर में स्वीपर की जगह पेपर पेस्ट करके टीचर लिख दो और फोटोस्टेट ले लो |जब पक्के आर्डर आ जाएँगे तो पेपर बदल देंगे |सैलरी बिल तो मुझे ही बनाना है |आप बेफिक्र रहें| ” मि.सुरेश ने धूर्ततापूर्वक मुस्काराते हुए कहा |
“बस इसीलिए मैं आपको गुरु मानता हूँ |अब उस लड़की को मना लाएँ |”
“आप बेफिक्र रहें,सर|”कहते हुए मि.सुरेश बाहर निकलते हैं
“बेटी मीना,अंदर चल - - -पहले क्यों नहीं बताया कि साहब तेरे - - - -“
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
NIidhi Plus ji ,आपकी सक्रिय और बेबाक राय और सुझावों का हृदय से आभार ,पर इस संसमरणात्मक कहानी सको आप लघुकथा की तरह ना मूल्यांकित करें |संसमरण जीवन-घटनाओं से प्रेरित कथा-कार्य है और जिसमें जीवन की तरह बहुत से तत्व एक साथ शामिल होते हैं और इसलिए इस तरह की कहानी लघुकथा की कसौटी पर खरी नहीं उतर सकती |बाकि कहानी को कसने के लिए अगर कोई सुझाव है तो स्वागत है|
Shyam Narain Verma ji krishna mishra 'jaan'gorkhpuri ji and maharshi tripathi ji ,thannx for your continus support and approval
बहुत सुन्दर आ. somesh kumar जी ,,आप एक अच्छे लेखक हैं ,,,,प्रयासरत रहे |
सोमेश भाई ,बढ़िया कहानी है , आ. निधि जी की बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है , कहानी लेखन आपका निखर रहा है , बधाई आपको ! सादर
भाई! सोमेश उम्दा लेखन पर बधाई!!फ्लैशबैक में आपकी इस कथा को प्रस्तुत करना! कथा को रुचिकर तो बनाये ही रखता है और आजकल के ट्रेंड को भी! आप एक सजग लेखक है!शुभकामनाए!!
सुपर्ब ..क्या बात है .. सर लेकिन कहानियों में और कसाव की जरुरत है .. फ्लो में नहीं जाती .. बहुत सारी बातें एक साथ घुसेड़ने के चक्कर में सही मेसेज गुम हो रहा है - भ्रष्टाचार, छोटी जाती के प्रति व्यवहार, चापलूसी, इंटर पर्सनल रिलेशन और स्त्रिलोलुप प्रवृत्ति को एक साथ लाने में लघु कथाएं कम पड़ती हैं.. एक लघुकथा में एक या दो ही खास बातों पर ध्यान दें तो कसाव आएगा
बहुत उम्दा , बधाई इस लघुकथा के लिए .. |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online