मेरा बेटा
अभी बच्चा है
अक़्ल से कच्चा है
चीज़ों का महत्व
नहीं जानता
और न ही
बड़ी बातें करना जानता है
उसकी खुशियाँ भी
छोटी-छोटी हैं
चॉकलेट, खिलौनों से ख़ुश
पेट भर जाए तो ख़ुश
पर लालची नहीं है वो
उतना ही खाएगा
जितनी भूख़ है
कल के लिए नहीं सोचता
आज की फिक्र करता है
चीज़ें ज़्यादा हो जायें
दोस्तों में बाँट देगा
छोटा है न
कुछ समझता नहीं
लोग समझाते हैं
बाद के लिए रख लो
पर नहीं समझता
बुद्धू भी कहते हैं सब
पर सुनता नहीं किसी की
छोटा है न
कुछ समझता नहीं
कहेगा कल फिर आ जाएगी
ख़ुदा के बारे में
ज़्यादा कुछ नहीं जानता
पर अपने लिए उनसे
चीज़ें ज़रुर माँगता है
और विश्वास भी उसका पक्का है
ख़ुदा उसकी चीज़ों का
प्रबंध कर देंगे
छोटा है न
विश्वास का पक्का है ।
Comment
अदरणीय प्राची जी ,अदरणीय सौरभ जी एवं अदरणीय गणेश जी रचना पसंद करने और हौसला देने के लिए आभार ।आप सब का दिल से शुक्रिया ।
आहा !! बच्चा है तभी तो सच्चा है, दिल बच्चा हो तो मांगने की जरुरत ही नहीं है, सब कुछ अपने आप मिलता जाता है, आदरणीय नादिर जी, अच्छी रचना , बधाई हो |
काश, हमारे-आपके अंदर का बच्चा भी बदस्तूर बना रहता. हृदयस्पर्शी रचना हुई है. हार्दिक बधाइयाँ.
आदरणीय नादिर खान जी, दो साल पहले एक पुस्तक पढ़ी थी ...secret the power by Rhonda Byrne... विश्वास की शक्ति कुछ भी फलीभूत कर सकती है, और निश्छल, अडिग विश्वास तो बाल सुलभ ही है...
इस सुन्दर अभिव्यक्ति के इए ह्रदय से बधाई
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