For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अपरिचित कवि की कृतियाँ- ४3 (दिल रेल की पटरी है और तुम एक आती-जाती ट्रेन)

दिल रेल की पटरी है 
और तुम एक आती-जाती ट्रेन 
तुम सीने को रौंद के जाते हो 
तभी अच्छे लगते हो 
जब मुफ़स्सिल बियाबानों से 
कोहसारों की खुशबू लाते हो 
तभी अच्छे लगते हो 
कभी चलते-चलते सीटी बजाते, 
कभी पहियों से गुनगुनाते हो 
तभी अच्छे लगते हो 
कभी सुबह की किरणों के संग जगाते 
कभी रातों को झुरमुटों में सुलाते हो 
तभी अच्छे लगते हो 
कभी रुकने वाले स्टेशनों पर न रुक कर 
किसी अनजान से मोहल्ले में रुक जाते हो 
तभी अच्छे लगते हो

तुम न रहकर भी कभी मेरे सीने पे आरूढ़
मेरी अबाध निस्सृतता में सदैव बहते हो
मीलों बिछी पटरियों में निभृत मेरी अनंतता को
एक तुम ही तो समझते हो

दिल रेल की पटरी है 
और तुम एक आती-जाती ट्रेन 
तुम सीने को रौंद के जाते हो 
तभी अच्छे लगते हो

~ राज़ नवादवी

(मौलिक और अप्रकाशित)

मुफ़स्सिल बियाबानों से- दूरस्थ जंगलों से; कोहसारों की खुशबू- घाटियों की महक; आरूढ़- सवार, आसीन; निस्सृतता- बाहर बहता हुए होने का भाव; निभृत- अकेला, स्थिर, गुप्त.

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on February 16, 2016 at 12:29am

शुक्रिया आदरणीयमिथिलेश जी, आपका दिल से आभार. 

Comment by राज़ नवादवी on February 16, 2016 at 12:29am

शुक्रिया आदरणीय सतविंदर जी, आपका दिल से आभार. 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 11, 2016 at 8:48am
बहुत बहुत बधाई आदरणीय इस ख़ूबसूरत रचना के लिए।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 11, 2016 at 1:14am

आदरणीय राज़ नवादवी जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
57 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
1 hour ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service