For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छोटू - लघुकथा –

पत्रकार सम्मेलन से लौटते हुए एक ढावे पर चाय पीने रुक गया।ढावे पर एक नौ दस साल के बच्चे को काम करते देख मेरे अंदर की पत्रकारिता जनित मानवता जाग उठी।मैंने उसे इशारे से बुलाया,"क्या नाम है तुम्हारा?"

वह मेरे चेहरे को टुकुर टुकुर देख रहा था। मैंने पुनः वही प्रश्न दोहराया।वह तो फिर भी वैसे ही गुमसुम खड़ा रहा लेकिन ढावे का मालिक आगया,"साहब, इसका नाम छोटू है।यह गूंगा बहरा है।"

"इसके माँ बाप कहाँ हैं?"

"ये अनाथ है।"

"मैं इसकी एक फोटो ले लूँ।"

"वह किसलिये?"

"मेरा अखबार निकलता है।इसकी फोटो उसमें छाप दूंगा। शायद कोई रिश्तेदार निकल आये।"

"अरे साहब ऐसा मत करो।नकली रिश्तेदार बनकर लोग आ जायेंगे और इसे बंधुआ बनाकर रखेंगे।"

"आप भी तो वही कर रहे हो।"

"क्या बात कर रहे हो साहब? अपने बेटे की तरह पाल रहा हूँ।"

"क्या स्कूल जाता है यह?"

"क्या मज़ाक करते हो साहब? यह तो गूँगा बहरा है।"

"आजकल इन लोगों के लिये भी स्कूल खुल गये हैं। वहाँ इनके रहने खाने की भी व्यवस्था होती है। शिक्षा भी निशुल्क है।"

"ठीक है साहब मैं पता करूंगा।"

"आप कहो तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ।"

"अरे नहीं साहब। बहुत बहुत शुक्रिया।मैं कर लूंगा।"

फिर भी चलने से पहले मैंने अपना विजिटिंग कार्ड निकाल कर उसे दे दिया,"यदि आप से नहीं हो तो मुझे फोन कर लेना।"

इतना बोल  मैं अपनी कार की ओर बढ़ गया।मैं कार आगे बढ़ाने ही वाला था कि वह छोटू कार की ओर दौड़ता दिखा।

"साहब आपका पर्स।"मैं चकित रह गया।

"अरे छोटू तुम तो बोल लेते हो।"

"साहब मैं गूंगा बहरा नहीं हूँ।मुझे इसी शर्त पर नौकरी मिली है।"

इतना बोल छोटू वापस भाग गया।

और मैंने भी एक संकल्प के साथ कार आगे बढ़ा दी।

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on November 19, 2020 at 12:31pm

हार्दिक आभार आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2020 at 8:38pm

बहुत ही शानदार भाव चित्रण है आदरणीय...लघु कथा गागर में सागर की तरह ही होनी चाहिए।जिसे पढ़ कर तृप्ति भी हो और प्यास भी।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 21, 2020 at 6:04pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी। आदाब।

Comment by Samar kabeer on October 20, 2020 at 8:16pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service