For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सत्य की तलाश  - लघुकथा –

सत्य की तलाश  - लघुकथा –

आधी रात का वक्त था। गाँव से दूर पूर्व की ओर एक खाली पड़े खेत में एक चिता सजाई जा रही थी। चारों ओर से पुलिस उस खेत को घेरे हुए थी।ऐसा लग रहा था जैसे पूरे देश की पुलिस यहाँ एकत्र कर रखी हो।पुलिस के अलावा कोई भी नज़र नहीं आ रहा था।

हाँ पुलिस के घेरे से बाहर अवश्य एक भीड़ जुटी हुई थी।भीड़ में कुछ लोग रो रहे थे। कुछ हँस भी रहे थे।कुछ नारे लगा रहे थे।

इसी बीच एक सौ साल से ऊपर का वृद्ध पुरुष सफेद धोती से अपना जर्जर शरीर लपेटे हुए हाथ में एक लाठी लिए भीड़ को चीरते हुए पुलिस के समक्ष जा पहुँचा।

"कौन हो बाबा? क्या चाहिये?"

"मैं गाँधी हूँ। मुझे सच्चाई की तलाश है।"

"आप क्या करोगे सच्चाई का?"

"मैं तो सत्य और अहिंसा का पुजारी हूँ।"

"आप थोड़ा देर से आये बापू।"

"क्या मतलब?"

"सच्चाई की मौत हो गयी।"

"तो इस चिता में क्या है?"

"यह तो उसकी लाश है।"

"मुझे उसकी लाश ही दे दो।  मैं विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार कर दूंगा।"

"वह तो जल चुकी बापू।"

"यहाँ इतनी पुलिस होते हुए भी ऐसा कैसे होने दिया आप लोगों ने?"

"हम लोग तो आपके ही उसूलों का पालन कर रहे हैं।"

"मेरे उसूल,  कौन से उसूल?"

"ना देख बुरा, ना सुन बुरा ना बोल बुरा।"

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 15, 2020 at 3:28pm

हार्दिक आभार आदरणीय   लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 15, 2020 at 3:26pm

हार्दिक आभार आदरणीय रचना भाटिया जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 15, 2020 at 3:25pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदाब।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 14, 2020 at 12:38pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Rachna Bhatia on October 14, 2020 at 11:41am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, बेहतरीन लघुकथा हुई। बहुत ख़ूबसूरती से आपने हाल की घटना की तरफ़ इशारा किया।बधाई।

Comment by Samar kabeer on October 14, 2020 at 11:36am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 12, 2020 at 9:54am

हार्दिक आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 10, 2020 at 2:24pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, समसामयिक घटनाओं पर मार्मिक व्यंग्य प्रस्तुत करती हुई लघुकथा रोमांचित भी करती है. कलम को सत्य की तलाश में लगे रहना चाहिए. सादर!

Comment by TEJ VEER SINGH on October 10, 2020 at 9:30am

हार्दिक आभार आदरणीय शरद सिंह "विनोद"।

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on October 9, 2020 at 1:53pm
आदरणीय.... मार्मिक व्यंग्योक्ति

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service