For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज मम्मी जी पापा जी छोटे के लिए लड़की देखने जा रहे। हम दो भाई है, छोटे भाई का नाम अभिषेक है। मुझे तो बैंक जाना था, फरवरी मार्च दो महीने, बैंक से छट्टिया वैसे भी नहीं मिलतीं। सास- ससुर की लाड़ली बड़ी बहू उनके साथ जारही थी। बहुत खुश थी, बड़ी बहू-चयन का विशेष दायित्व जो मिल गया था। पापा जी ने तो कह दिया था, हम ठहरे पुराने जमाने के लोग, आजकल जो अपेक्षाएं, एक बहू से परिवार को हो सकती है तुम बेहतर जानती हो। ड्राईवर के आते ही कहा, गाड़ी लगाओ, रामबीर चार घंटे का रास्ता है । बारह बजे तक पहुँचना है, जिससे शाम तक लौट कर आ सकें। अभिषेक भी पहले से तैयार बैठा, तुम्हारा इंतजार कर रहा है। रास्ते भर पीछे की सीटों पर बैठे माँ, बेटे और बड़ी बहू ( मानसी ) होने वाली बहू में योग्यता के मानदंडों पर चर्चा करते रहे। रामबीर सुुनो, सैक्टर चार आ पहुुँचे है, बायीं और गली न. दो में मोड़ लो, पाँचवा मकान है, लड़की वालों का। पापा जी का यह निर्देश सुनते ही गाड़ी में पीछे बैठे माँ, बड़ी बहू और अभिषेक जैसे नींद से जाग बैठे हों, अब सँभल गए थे। साफ-सुथरा आवास था, परिष्कृत रुचि के लोग मालूम पड़ते थे, लड़की वाले। स्वागत कक्ष भी काफी विस्तृत , शायद बीस गुणा सोलह क्षेत्रफल रहा होगा। दीवारों पर कलाकृतियाँ सजीं थी। शालीन साज-सज्जा और आरामदेह सोफे। अभिषेक तो वाटर कलर की एक पैंटिंग को देखकर बिंध गया हो मानो। लड़की वालों को यह देखकर खासा अच्छा महसूस हुआ।लड़की की माँ ने बताया , यह पैंटिंग राखी ने स्वयं बनाई है। वाटर कलर पैंटिंग्स से लगाव है, उसे।


बिना विशेष देर किए जलपान अतिथियों के सामने रखा गया। ऱाखी ने आते ही मेहमानों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया और अभिषेक के सामने बैठी थी। सो उठकर उसने पानी के गिलासों भरी ट्रे उठायी और अभिषेक की ओर बढ़ा दी। गिलास पकड़ते ही सर उठाया तो राखी से नजरे मिलीं। पानी का गिलास हाथ से गिरते- गिरते बचा। अभिषेक की कल्पनाओं से भी सुन्दर बाला उसकी बीवी बनने को प्रस्तुत थी। कद- काठी शिल्पा शेट्टी भी शर्मा जाए।और ऱाखी की शैक्षिक योग्यता..मानों सोने पर सुहागा। काश वह खुद अकेले अपनी होने वाली पत्नि का चुनाव कर पाता। उसकी तलाश पूरी हो चुकी थी.....

लेकिन वाह रे बुर्जुआ सोच... भाभी मानसी मम्मी जी को उठाकर एक ओर ले गयी थीं, कुछ विमर्श हुआ। फिर पापाजी से सलाह - मशविरा ...। अभिषेक स्वयं भी खड़ा हुआ और माता -पिता और भाभी जी के पास जा पहुँचा। भाभी जी के शब्द उसके कानों में गूँज रहे थे, हमे अभिषेक के लिए बहू चहिए माडल नहीं। मम्मी, पापा जी बडी बहू की हाँ में हाँ मिला रहे थे। लौटते हुए माता-पिता और भाभी जी ने परिवारके अन्य सदस्यों से भी परामर्श कर लें। तब फैंसला करेंगे, कहकर, लड़की वालों से विदा ली।

.

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on November 18, 2020 at 10:19pm

बंधु, बृजेश कुमार बृज शुभ सँध्या । लघु-कथा सार रूप में कथ्य की प्रस्तुति होती है। और, जनाब, शब्दों को संदर्भ में और वाक्य को उसके विन्यास और पूर्णता मे समझा जाता है, न कि संदर्भ से काटकर, अधूरे वाक्य उठाकर अर्थ का अनर्थ किया जाए । साभार

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 18, 2020 at 6:46pm

आदरणीय चेतन जी अन्यथा न लें...अगर गौर से पढता नहीं तो इतना लिखता नहीं..बहुत अच्छी लघु कथा लिख के निकल लेता।

खैर अपनी अपनी समझ है..जो आप कहना चाह रहे शायद मैं नहीं समझा...सादर

Comment by Chetan Prakash on November 18, 2020 at 6:20am

भाई बृजेश कुमार बृज, नमस्कार! आपने लघु कथा , "फैंसला" को ध्यान पूर्वक पढ़ा ही नही। कहानी आपको पुनः पढ़नी होगी, यदि आप वाकई अपने प्रश्नों का उत्तर चाहते है । एक बात और कहानीकार, कहानीकार ही होता है, कोई पात्र नहीं । वैसे भी लघु-कथा का मर्म कथ्य में खोकर ही पाया जा सकता है।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 17, 2020 at 8:32pm

कहानी तो अच्छी है आदरणीय लेकिन एक पाठक के तौर पे कुछ् बातें मुझे खटक रहीं।

पहली पंक्ति से स्पष्ट है कि कहानीकार बड़ा भाई है।लेकिन "काश वह खुद अपनी पत्नी का चुनाव कर पाता" "उसकी तलाश पूरी हो चुकी थी" जैसे वाक्यों से महसूस होता है जैसे छोटा भाई कहानीकार हो!! इसके अलावा "बड़ी-बहू चयन का दायित्व जो मिल गया था" बड़ी बहू तो वो स्वम है??

Comment by Chetan Prakash on November 9, 2020 at 8:09pm

मोहतरम जनाब समीर कबीर साहब, आदाब ! आपने लघुकथा "फैंसला" को पढ़कर तबसिरे की ज़हमत उठाई, इसके लिए दिल से आपका आभार ! तवालत की ओर आपने मुझे आगाह किया, मोहतरम, कथावस्तु के गठन हेतु ताना-बाना बुनना उपरोक्त बिषय-वस्तु के सम्यक वहन हेतु कदाचित बहुत ज़रूरी था। साभार !

Comment by Samar kabeer on November 9, 2020 at 6:25pm
जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा है,लेकिन तवालत कुछ ज़ियादा हो गई है,बहरहाल बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service