For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122
बहते दरिया की रवानी लिख रहे हैं
सब यहाँ अपनी कहानी लिख रहे हैं

आंसुओं से बह रहा मेरे लहू औ'
आप हैं जो इनको पानी लिख रहे हैं

नींद आंखों से हुई है आज मिन्हा
चोट हम कोई पुरानी लिख रहे हैं

कह नहीं पाते थे तुमसे जो कभी वो
बात गज़लों की जुबानी लिख रहे हैं

तू अलग होकर भी मुझसे ही जुड़ी है
अपने किस्से को लाफ़ानी लिख रहे हैं

जो चलाये थे कभी बरसात में हम
कश्ती औ' बारिश का पानी लिख रहे हैं

जो सुनाती थी मुझे गोदी में अपने
अम्मा लोरी वो सुहानी लिख रहे हैं

-मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 914

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 5, 2020 at 12:01pm

जनाब सचिन कुमार जी आदाब, ख़ूबसूरत भाव के साथ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

Comment by Samar kabeer on December 3, 2020 at 2:34pm

मिन्हाँ

Comment by Samar kabeer on December 3, 2020 at 2:33pm

तहज़ीब हाफ़ी की ग़ज़ल में 'मिन्हा' नहीं "मिन्हहाँ" शब्द है ।

Comment by सचिन कुमार on December 3, 2020 at 12:11pm

मिन्हा शब्द तो उर्दू का ही है...एक ग़ज़ल में पढ़ा था ...ख्वाबों को आंखों से मिन्हा करती है...नींद हमेशा मुझसे धोखा करती है...तहजीब हाफी की ग़ज़ल में पढ़ा था....हो सकता है इसका सही प्रयोग नही हुआ हमसे...लाफ़ानी में ला की मात्रा नहीं गिराई जा सकती..इसपर और प्रकाश डाले सर..वरना ऐसे शब्दों पर आगे और गलतियां होंगी मुझसे

Comment by Samar kabeer on December 3, 2020 at 12:05pm

// क्या हम इसमे लाफ़ानी को 122 नही ले सकते है//

'लाफ़ानी' को 122 पर नहीं ले सकते ।

'मिन्हा' शब्द किस भाषा का है?

Comment by सचिन कुमार on December 3, 2020 at 10:19am

ये मेरा पहला प्रयास था ...आप गुणी जनों इसे बस पढकर सार्थक कर दिया....समर सर मेरी गलतियों को गिनाने का शुक्रिया आगे से और सीखकर फिर लिखूंगा.....मिन्हा का अर्थ मैंने घटकर कम होना, अलग होना ये लिया है....अपने किस्से को लाफ़ानी लिख रहे हैं.... क्या हम इसमे लाफ़ानी को 122 नही ले सकते है

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 3, 2020 at 10:09am

आ. भाई सचिन जी, अच्छी गजजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 2, 2020 at 12:45pm

ग़ज़ल भावपूर्ण है मित्र...आदरणीय समर जी ने सार्थक समीक्षा की है।

Comment by Samar kabeer on November 29, 2020 at 8:36pm

जनाब सचिन जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'नींद आंखों से हुई है आज मिन्हा'

इस मिसरे में 'मिन्हा' का अर्थ बताने का कष्ट करें ।

'अपने किस्से को लाफ़ानी लिख रहे हैं'

ये मिसरा बह्र में नहीं है, देखियेगा ।

'जो चलाये थे कभी बरसात में हम

कश्ती औ' बारिश का पानी लिख रहे हैं'

इस शैर के ऊला में 'चलाये थे' वाक्य विन्यास ठीक नहीं, और सानी में 'और' शब्द की मात्रा गिराकर "औ" लिखना उचित नहीं, 'और' ही लिखें,पढ़ने वाला मात्रा गिराकर पढ़ लेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह .. वाह वाह ...  आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रयास और प्रस्तुति पर मन वस्तुतः झूम जाता…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है.  प्रदत्त चित्र…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service