For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-वफ़ा नहीं मिलती

2122 1212 22

1

खा के क़समें वफ़ा नहीं मिलती

ज़ख़्मी दिल की दवा नहीं मिलती

2

बाँध ले बात गाँठ तू यारा

दर्द देकर दुआ नहीं मिलती

3

गाँव की तरह् शह्र में हमको

यार बाद-ए-सबा नहीं मिलती

4

साँस फेरेगी आँख ख़ुद ही सनम

चाहने से कज़ा नहीं मिलती

5

वस्ल की रात ओढ़कर घूँघट

आजकल क्यों हया नहीं मिलती

6

गुनगुना ले जो धड़कनों के सुर

ऐसी नग़्मा-सरा नहीं मिलती

7

तेरे कर्मों का ही नतीज़ा है

जो दुआ की रिदा नहीं मिलती

8

हर दुआ बद-दुआ हुई वरना

ज़िन्दगी भर सज़ा नहीं मिलती

9

जिससे ख़ुशबू वतन की आती हो

ऐसी 'निर्मल' हिना नहीं मिलती

मौलिक व अप्रकाशित

रचना निर्मल

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rachna Bhatia on January 30, 2021 at 5:29pm

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार। आपने मेरा हौसला बढ़ाया इसके लिए आभारी हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on January 30, 2021 at 5:26pm

आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। सर् आपके मिसरअ पर मेरे लिए लिखना बहुत मुश्किल था। आपकी इस्लाह के लिए मैैंआपकी बहुत आभारी हूँ। 

सर्, सुधार कर के आपको दिखाती हूँ।सादर।

Comment by Samar kabeer on January 30, 2021 at 4:02pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'बाँध ले बात गाँठ तू यारा'

इस मिसरे में 'तू' की जगह "में" कर लें ।

'साँस फेरेगी आँख ख़ुद ही सनम

चाहने से कज़ा नहीं मिलती'

इस शैर का ऊला यूँ कर सकती हैं:-

'मौत आएगी वक़्त पर यारा'

'ऐसी नग़्मा-सरा नहीं मिलती'

इस मिसरे में 'नग़मा सरा' पुल्लिंग है ।

'हर दुआ बद-दुआ हुई वरना

ज़िन्दगी भर सज़ा नहीं मिलती'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं हुआ ।

'ऐसी 'निर्मल' हिना नहीं मिलती'

इस मिसरे में 'हिना' की जगह "हवा" कह सकती हैं ।

बाक़ी शुभ शुभ ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 30, 2021 at 11:23am

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कई शे'र उम्दा हुए हैं।

'बाँध ले बात गाँठ तू यारा'  ये मिसरा            'बाँध ले बात गाँठ तू ये सनम'  करने से बात स्पष्ट होगी 

'साँस फेरेगी आँख ख़ुद ही सनम' ये मिसरा    'सांस ख़ुद ही थमेगी प्यारे यूँ'  करने से बात स्पष्ट होगी 

'ऐसी नग़्मा-सरा नहीं मिलती' इस मिसरे में 'नग़्मा-सरा' से आपका क्या आशय है ? 

'जो दुआ की रिदा नहीं मिलती'                'दुआ की रिदा'? क्या कहना चाहती हैं? 

'जिससे ख़ुशबू वतन की आती हो

 ऐसी 'निर्मल' हिना नहीं मिलती'        इस शे'र के मिसरों में रब्त नहीं है।  सादर। 

Comment by Rachna Bhatia on January 29, 2021 at 9:24pm

आदरणीय कृष मिश्रा जी नमस्कार।आपकी इस्लाह को ध्यान में रखते हुए बेहतर करने की कोशिश करूँगी। हौसला बढ़ाने के लिए आभार।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 29, 2021 at 7:16pm

गुनगुना ले जो धड़कनों के सुर

ऐसी नग़्मा-सरा नहीं मिलती

हर दुआ बद-दुआ हुई वरना

ज़िन्दगी भर सज़ा नहीं मिलती....

आ. रचना जी ये दो शेर बहुत खूब हुए है, शेष ग़ज़ल अभी समय मांग रही है । आप शब्दों के वजन से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुके हैं अब जरूरत है विचारों में वजन लाने की और लयात्मकता की। जैसा कि आपने तरही की ग़ज़ल में किया था। हार्दिक शुभकामनाए। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post पूजा बता रहे हैं
"आ0 अखिलेश  कृष्ण  श्रीवास्तव  जी, पटल पर आपकी अधूरी प्रतिक्रिया देख पा रही हूँ। जो…"
Thursday
Usha Awasthi posted a blog post

पूजा बता रहे हैं

पूजा बता रहे हैं उषा अवस्थीपाले हैं,यौन कुंठापूजा बता रहे हैंन जाने ऐसे लोग किस राह जा रहे हैं?रचते…See More
Thursday
Euphonic Amit commented on Samar kabeer's blog post 'वतन को आग लगाने की चाल किसकी है'
"बिहतरीन ग़ज़ल आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम। वाहह वाह। सादर चरण स्पर्श "
Wednesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"सुनन्दरम।"
Tuesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
Monday
दिनेश कुमार posted blog posts
Dec 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Dec 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Dec 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक…See More
Dec 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"क्या नैपथ्य या अनकहे से कथा स्पष्ट नहीं हो सकी?"
Nov 30

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई, शैली कोई भी हो किन्तु मेरे विचार से कथा तो होनी चाहिए न । डायरी शैली में यह प्रयास हुआ है ।"
Nov 30

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service