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1
हमारे वारे न्यारे हो रहे हैं
सनम को जाँ से प्यारे हो रहे हैं
2
बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना
फ़लक के हम सितारे हो रहे हैं
3
नवाज़ा है खुदा ने हर खुशी से
बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं
4
गिला शिकवा नहीं है अब किसी से
सभी दिल से हमारे हो रहे हैं
5
तुम्हारी आँखों के इन मोतियों से
समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं
6
भरी महफ़िल में 'निर्मल' आज कैसे
निगाहों से इशारे हो रहे हैं
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर सर्, पता नहीं कहाँ से सर् इतना लंबा खिंच गया । न ही एडिट का आप्शन आ रहा है कि मैं ठीक कर सकूँ हालांकि पोस्ट किए केवल ३० सैंकड ही हुए हैं।आपसे क्षमा चाहती हूँ ।
आशा करती हूँ आप इसे अन्यथा नहीं लेंगें।
सादर।
आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। सर् हौसला बढ़ाने तथा इस्लाह देने के लिए आपकी आभारी हूँ।
सर् ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््
शुहरत अब से ठीक लिखूँगी।मतला तथा तीसरे शे'र का सानी बदलने की कोशिश करती हूँमुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
मतला बस ठीक ठीक है ।
'बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना'
'शोहरत' को "शुहरत" लिखा करें, कई बार बताया जा चुका है ।
'बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं'
इस मिसरे को बदलने का प्रयास करें ।
'समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं'
इस मिसरे में 'ख़ूब' की जगह "और" कर लें ।
आदरणीय आज़ी तमाम जी ग़ज़ल तक आने के लिए तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभार
आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।फेयर में ठीक कर लेती हूँ।
आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।फेयर में ठीक कर लेती हूँ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।
आदरणीय कृष मिश्रा जी ंंनमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।
वाह सादगी भरी खूबसूरत ग़ज़ल हुई है। नये से बिम्ब देखने को मिले हैं, ढेरों मुबारकबाद आ. रचना जी।
आ. रचना बहन ,सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
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