For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार में डूबने के बाद

कुर्क हो जाती है आत्मा मेरी तुम्हारी मुस्कान से हर बार
सुर्ख मधुर अधरों से गूंजा सा मेरा नाम जब पुकारती हो तुम

स्वेक्षा से अपने आप को को मरता हुआ सा देख सकता हु
मार डालो मुझे मृत्यु तुम्हारे अधरों पे लटका देख सकता हु

नित तुम्हारा नाम लेता हु चेहरा मस्तिस्क में लिए फिरता हु
हम तुम शब्दों के पुष्प उछाल रहे हैं दिल का स्पंदन जब्त सा है

मुक्त करो तुम्हारी यादो के भरोसे से संजोकर मुझे आज
तुम में पूरा डूबा मैं अब किनारे पर सूखने की कोशिश में हु

नहीं सोचता अकस्मात् मृत्यु क्यों हुई स्मृती की तुम्हारी
मैं तुम्हे क्यों बताऊ की अब भी एक तस्वीर साथ है तुम्हारी


तुम्हारा ------------आनंद वत्स

Views: 468

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on July 25, 2010 at 10:34am
कुर्क हो जाती है आत्मा मेरी तुम्हारी मुस्कान से हर बार
सुर्ख मधुर अधरों से गूंजा सा मेरा नाम जब पुकारती हो तुम

बहुत खूब आनंद जी....एकदम सही लिखा है आपने..... कहा गया है की प्यार की कोई भाषा नही होती लेकिन इसको जताने के लिए शब्दो की ज़रूरत तो होती ही है...और ठीक वही किया है आपने......बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने....ऐसेही लिखते रहे....
Comment by Anand Vats on July 22, 2010 at 5:12pm
आप सब का हार्दिक धन्यवाद|
राणा जी आपका आशीर्वाद बना रहे और मार्गदर्शन का लाभ प्राप्त होता रहे |
Comment by Rashmi Rathi on July 21, 2010 at 2:36pm
बहुत ही खूबसूरत रचना है, अपने अंतर्मन के एहसासों का बड़ी ही सहजता से वर्णन किया है आपने Truly Fabulous.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 18, 2010 at 1:41pm
सुन्दर भावनाओं को कलमबद्ध किया है आनंद भाई. अंतिम पंक्तियाँ एक प्रश्न खड़ा कर अकेला छोड़ कर चली जाती है...यही सुन्दरता भी है...परन्तु कहीं कही लगता है कुछ शब्द जबरन भरती किये गए है.

मुक्त करो तुम्हारी सुखद यादो के भरोसे से संजोकर मुझे आज
मुक्त करो अपनी यादों के.......

इसके अतिरिक्त एक दो जगह वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ है........ दूर कर ले.
Comment by आशीष यादव on July 17, 2010 at 6:25pm
बहुत अच्छी कविता रची है आपने. मुझे आशा नहीं पूर्ण विश्वाश है आप आगे भी हम लोगो को ऐसी कविताएँ परोसते रहेंगे. उत्तम

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 17, 2010 at 4:44pm
आनंद वत्स जी बहुत ही खुबसूरत कविता रचा है आपने , सुंदर सुंदर शब्दों का सुन्दरता से प्रयोग कविता को लज्जत प्रदान कर रहा है , अंतिम दो पक्तिया पूरे कविता की जान लग रही है, बहुत खूब , बधाई इस अनुपम कृति के लिये ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service