मैं और मेरी कृत्य के बीच एक रिक्त सदा से
खुद से खुद को जकडे जंजीरों के शून्य हो जैसे
बंधे है एक दूसरे से बाहों में बाहें डाल कर
फिर भी एक बड़ा घेरा जो घिर न रहा हो जैसे
युग्म एकाकार हैं संभावनाएं भी अपरम्पार हैं
लग रहा फिर भी…
Added by Anand Vats on March 2, 2012 at 12:30pm — 8 Comments
पाषाण समाज के सीने पे पडी नन्ही अश्रु की बूँद गाती है अनसुना गीत ,सुनाती है अजन्मी कहानी .|
उसकी गिरेबां को पकडे रोती ,बिलखती , कोसती, झकझोरती , सवाल करती , पता पूछती हैं उस भ्रूण हत्यारे का|
फिर सहसा आंसू पोछती .सोचती कहती की अच्छा हुआ जन्म से पहले मिटा दी गयी पैदा होती तो जाने क्या हश्र होता |…
Added by Anand Vats on March 5, 2011 at 10:21am — 3 Comments
Added by Anand Vats on August 14, 2010 at 11:24am — 1 Comment
Added by Anand Vats on July 17, 2010 at 2:30pm — 6 Comments
Added by Anand Vats on June 26, 2010 at 3:00pm — 4 Comments
Added by Anand Vats on June 11, 2010 at 6:00pm — 5 Comments
Added by Anand Vats on June 2, 2010 at 12:09pm — 8 Comments
Added by Anand Vats on June 1, 2010 at 1:03pm — 9 Comments
Added by Anand Vats on June 1, 2010 at 12:06pm — 1 Comment
Added by Anand Vats on June 1, 2010 at 11:50am — 6 Comments
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