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पाषाण समाज के सीने पे पडी नन्ही अश्रु की बूँद गाती है अनसुना गीत ,सुनाती है अजन्मी कहानी .|
उसकी गिरेबां को पकडे रोती ,बिलखती , कोसती, झकझोरती , सवाल करती , पता पूछती हैं उस भ्रूण हत्यारे का|

फिर सहसा आंसू पोछती .सोचती कहती की अच्छा हुआ जन्म  से पहले मिटा दी  गयी पैदा होती तो जाने क्या हश्र होता |



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Comment by विवेक मिश्र on March 5, 2011 at 11:36pm
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति और उससे भी सुन्दर लगा ये स्केच. बहुत-२ बधाई.
Comment by Anand Vats on March 5, 2011 at 4:13pm
Rashmee jee .. saadar  namaskaar .. bahut bahut shulriya pasand karmne ke liye
Comment by rashmi prabha on March 5, 2011 at 3:47pm
is geet ko sunna hi hoga ... bahut achhi prastuti

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