ग़ज़ल
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जिसने देखा वो ये बोला ओबीओ
कोई नहीं है तेरे जैसा ओबीओ
जब तक ज़िंदा हूँ मैं साथ निभाऊँगा
है ये तुझ से मेरा वादा ओबीओ
'बाग़ी' जी के साथ सभी ने मिलजुल कर
नाज़ों से तुझको है पाला ओबीओ
दुनिया के कोने कोने में फैल गया
तू ने जो भी पाठ पढ़ाया ओबीओ
तेरा नाम शिखर पर दुनिया लिखती थी
मैंने कल शब ख़्वाब में देखा ओबीओ
गीत ग़ज़ल दोहे चौपाई सीख गया
तूने जिसको भी अपनाया ओबीओ
नाम नहीं मिट पाया तेरा दुनिया से
ज़ोर बहुत लोगों ने लगाया ओबीओ
तेरे आशिक़ बढ़ते जाते हैं प्यारे
ऐसे तू हर दिल पर छाया ओबीओ
यार यक़ीनन इसमें तेरा हिस्सा है
मैंने जो भी नाम कमाया ओबीओ
ज़िंदा हूँ जब तक मैं भूल न पाऊँगा
तुझसे इतना प्यार है पाया ओबीओ
चैन कहाँ पड़ता है 'समर' को तेरे बिन
दिन भर तेरा नाम वो रटता ओबीओ
'समर कबीर'
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
जनाब शैख़ ज़ुबेर जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
जनाब आज़ी तमाम जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
जनाब ब्रजेश कुमार 'बृज' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
जनाब श्याम नारायण जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
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