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ग़ज़ल

1212 1122 1212 22/112

सुख़न में पैदा तेरे किस तरह कमाल हुआ
हज़ार बार यही मुझसे इक सवाल हुआ

 

तमाम उम्र गुज़ारेंगे किस तरह यारो
हमें तो साँस भी लेना यहाँ मुहाल हुआ

 

लिखा न जाएगा ख़त में ख़ुद आके देख लो तुम
तुम्हारे इश्क़ में जो भी हमारा हाल हुआ

 
हुनर नहीं ये हमारा अता ख़ुदा की है
कि शे'र जो भी कहा हमने बेमिसाल हुआ

 

ज़बाँ से कह न सके वो मगर सुना ये है
हमारे जाने का उनको बहुत मलाल हुआ

 

ख़ज़ाने हुस्न के रब ने अता किये जो उसे
तो मैं भी इश्क़ की दौलत से माला माल हुआ

 

'समर' वो फूल बड़ा ही नसीब वाला था
जो उनके पा-ए-मुबारक से पाएमाल हुआ 

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on August 3, 2021 at 2:46pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on August 3, 2021 at 2:45pm

मुहतरमा रोज़िना जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on August 3, 2021 at 2:44pm

जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2021 at 11:21am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल नजर से चूक जाने के कारण उपस्थिति विलम्ब से हुई है। गजल का हर शेर अपने आप में पूरी गजल जैसा है। मेरे लिए यह सदाबहार और सहेजने वाली गजल हुई है । ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें । सादर..

Comment by Rozina Dighe on August 1, 2021 at 1:37am

आदरणीय 

नमस्कार sir

एक से बढ़ कर एक अशआर

'कि शे'र जो भी कहा हमने बेमिसाल हुआ'

लाजवाब आदरणीय!

सादर

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2021 at 1:00am

आदरणीय समर कबीर साहब, मतले से सवाल क्या उछाला आपने, कि कई अश'आर जवाब बन कर सामने आये हैं. बहुत खूब ! 

ज़बाँ से कह न सके वो मगर सुना ये है
हमारे जाने का उनको बहुत मलाल हुआ

क्या बात है,भाई साहब !! 

Comment by Samar kabeer on July 27, 2021 at 6:25pm

जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on July 27, 2021 at 6:24pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on July 27, 2021 at 6:23pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on July 27, 2021 at 6:22pm

जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।

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"सादर"
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