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अज़ीब इस दिल की बातें हैं अज़ीब इसके तराने हैं
अज़ीब ही दर्द है इसका अज़ीब ही दास्तानें हैं
अज़ीब अंज़ाम है इसका अज़ीब आग़ाज़ करता है
अगर जो टूट भी जाये तो ना आवाज़ करता है
कभी सुरख़ाब करता है कभी बेताब करता है
दिल ए नादाँ............. दिल ए नादाँ...........
दिल ए नादाँ हर इक ख़्वाहिश को ही आदाब करता है
ये करतब कितनी आसानी से यारो दिल ये करता है
कभी ये ज़ख़्म देता है, कभी ये ज़ख़्म भरता है
बताएं क्या किसी को इश्क में दिल क्या कै करता है
भले ही ख़ाक हो जाये , महब्बत फिर भी करता है
कोई पागल नहीं होता किसी के इश्क में गर जो
ये दिल ही यार सीने में, अगर होता ही ना गर जो
मगर दिल भी जरूरी है नये सपने सजाने को
कभी आ'बाद करता है, कभी बर्बाद करता है
अज़ब इसकी कहानी है अज़ब है दास्तां इसकी
हो जिसको भूलना लाज़िम, उसी को याद करता है
हज़ारों ख्वाहिशें पल में जला कर शाद करता है
कभी ये कैद करता है, कभी आज़ाद करता है
कज़ा हर ख़्वाब लिख लिख कर मिटाता रहता है अक्सर
तड़पता है मचलता है, रज़ा नाशाद करता है
ये रूहों की कहानी है उतर कर आसमानों से
करीनों सी नगीनों पर उतर आई ज़मीनों पर
उतर कर ज़िस्म में जैसे कोई इमदाद करता है...........
दिलों का दर्द गाता है कि गाकर नाद करता है
ये मेरा दिल भी ना जाने, कै क्या फरियाद करता है
मौलिक व अप्रकाशित
आज़ी तमाम
Comment
हौसला अफ़ज़ाई व मार्गदर्शन के लिये सहृदय शुक्रिया आ धामी सर
सादर प्रणाम
आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। नगमें का प्रयास के लिए हार्दिक बधाई । इसे और समय देकर बेहतर करने की जरूरत है । सादर..
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