For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 1222 1222

अज़ीब इस दिल की बातें हैं अज़ीब इसके तराने हैं

अज़ीब ही दर्द है इसका अज़ीब ही दास्तानें हैं

अज़ीब अंज़ाम है इसका अज़ीब आग़ाज़ करता है

अगर जो टूट भी जाये तो ना आवाज़ करता है

कभी सुरख़ाब करता है कभी बेताब करता है

दिल ए नादाँ............. दिल ए नादाँ...........

दिल ए नादाँ हर इक ख़्वाहिश को ही आदाब करता है

ये करतब कितनी आसानी से यारो दिल ये करता है

कभी ये ज़ख़्म देता है, कभी ये ज़ख़्म भरता है

बताएं क्या किसी को इश्क में दिल क्या कै करता है

भले ही ख़ाक हो जाये , महब्बत फिर भी करता है

कोई पागल नहीं होता किसी के इश्क में गर जो

ये दिल ही यार सीने में, अगर होता ही ना गर जो

मगर दिल भी जरूरी है नये सपने सजाने को

कभी आ'बाद करता है, कभी बर्बाद करता है

अज़ब इसकी कहानी है अज़ब है दास्तां इसकी

हो जिसको भूलना लाज़िम, उसी को याद करता है

हज़ारों ख्वाहिशें पल में जला कर शाद करता है

कभी ये कैद करता है, कभी आज़ाद करता है

कज़ा हर ख़्वाब लिख लिख कर मिटाता रहता है अक्सर

तड़पता है मचलता है, रज़ा नाशाद करता है

ये रूहों की कहानी है उतर कर आसमानों से

करीनों सी नगीनों पर उतर आई ज़मीनों पर

उतर कर ज़िस्म में जैसे कोई इमदाद करता है...........

दिलों का दर्द गाता है कि गाकर नाद करता है

ये मेरा दिल भी ना जाने, कै क्या फरियाद करता है

मौलिक व अप्रकाशित

आज़ी तमाम

Views: 360

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on June 12, 2021 at 6:54am

हौसला अफ़ज़ाई व मार्गदर्शन के लिये सहृदय शुक्रिया आ धामी सर

सादर प्रणाम

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 12, 2021 at 2:55am

आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। नगमें का प्रयास के लिए हार्दिक बधाई । इसे और समय देकर बेहतर करने की जरूरत है । सादर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service