221-2121-1221-212
अखबार कोई आज भी अच्छा बचा है क्या
हर सत्य जिसमें नाप के छपता खरा है क्या।१।
*
राजा से पूछा करता जो डंके की चोट पर
जन के दुखों को देख के मानस दुखा है क्या।२।
*
हट कर खबर के पृष्ठों से सम्पादकीय में
जनता के हित का मामला कोई उठा है क्या।३।
*
जिस का लगाता दाँव है पत्रकार जान तक
निष्पक्ष सत्य सुर्खी में आता सदा है क्या।४।
*
पीड़ा हो जिस में लोक की केवल छपी हुई
नेता के नित्य कर्म को लिखना घटा है क्या।५।
*
शब्दों में जिसके न्याय का गुणगान होता हो
हर शठ से बैर उसका भी ठनता रहा है क्या।६।
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Comment
'जन हित विषय भी देखिए कोई उठा है क्या'
ये मिसरा ठीक है ।
आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना एवं मार्गदर्शन के लिए आभार।
इंगित मिसरे में बदलाव किया है देखिएगा ..
जन हित विषय भी देखिए कोई उठा है क्या।३।
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
'जनता केज् हित का मामला कोई उठा है क्या'
आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूँ कि इस मिसरे में सहीह शब्द 'मुआमला' 1212 है ।
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