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हर संगदिल को दिल का पता बता दिया

जितने बेवफा मिले सबको घर दिखला दिया

सभी ने छोड़ दिया जिस ग़म को खुशी के खातिर

हमे जहाँ भी दिखा,उसे हंसके गले लगा लिया

साथ हो दर्द तभी जीने का मज़ा आता है

ग़म जुदाई का हो तो पीने का मज़ा आता है

छुपा के रख सके जो दर्द को जहन मे अपने

ज़ख्मों को सीने का मज़ा बस उसी को आता है

खुशी है बुलबुला एक दिन फूट जाएगा

हंसाया इसने जितना, उतना ही रुलाएगा

हमसफर है सच्चा ग़म ही अपना यारों

जो आया तो अपने साथ लेकर जाएगा

जो फिरते हैं ढूंदते दिल का सुकून दूकानों मे

उन्हे नहीं मालूम ये मिलते है सिर्फ अफसानो मे

खुशी जो देखनी है सच्ची अगर इन्सानों की

कभी दो पल बीता कर आओ तुम मयखानो मे

बड़ा सुकून मिलता है अकेले जीने मे

छुपा कर रखना कोई आग अपने सीने मे

खुरच कर रोज़ हरा करना अपने घावों को

सलाखों सी लाल किसी सुई से फिर उसे सीने मे

कई जज़्बात है मगर कुछ कहता ही नहीं

हूँमैं नाराज़ बहूत पर कभी बिफरता ही नहीं द

बाकर रख लेता हूँ तमाम तिलमिलाहट अपनी

मरा तो यूं हूँ कई बार मगर मरता ही नहीं

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

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Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2021 at 4:10pm

आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन

बढ़िया सृजन और भावभियक्ति पर आपको बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

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"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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