For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-ज़माने को बताना चाहे

2122 1122 1122 22 /112

1

शोर धड़कन का ज़माने को बताना चाहे

दिल करीब और करीब यार के आना चाहे

2

दिल की बैचेनी भी अब एक ठिकाना चाहे

थोड़ा ख़ुशियों के समंदर में नहाना चाहे

3

साथ जितना भी लिखा उसने तेरा मेरा सनम

ज़िन्दगी उतनी ही साँसों का तराना चाहे

4

ख़ुशबू बनकर मेरी साँसों में उतरने वाले

क्या तेरा दिल भी महक ऐसी न पाना चाहे

5

चंद अशआर महब्बत प सुना कर यह मन

बीच महफ़िल में तुम्हें अपना बनाना चाहे

6

बात कड़वी है मगर बात है सच्ची "निर्मल"

बेवफ़ा से कोई रिश्ता न निभाना चाहे

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rachna Bhatia on October 30, 2021 at 3:22pm

आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल तक दुबारा आने के लिए आभार।

Comment by Rachna Bhatia on October 30, 2021 at 3:21pm

आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।सर् ,जी,आपके कहे अनुसार सुधार कर लेती हूँ। दुबारा ग़ज़ल तक आने के लिए बेहद शुक्रिय:।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 30, 2021 at 10:29am

मुहतरम मुआफ़ी चाहूँगा क़रीं के मआनी पर मुझे ग़लत-फ़हमी हुई। आप सहीह हैं। 'क़रीं' के मआनी भी वही हैं जो 'क़रीब' के हैं। सादर। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 30, 2021 at 8:10am

//-इस मिसरे को यूँ कर सकती हैं :-

"दिल क़रीं और क़रीं यार के आना चाहे "//

मुहतरम आदाब, क्या ये मिसरा शिल्प और भाव की दृष्टि से उचित होगा ? क्योंकि क़रीं के मआनी क़रीब या नज़दीकी तो नहीं है। सादर। 

Comment by Samar kabeer on October 30, 2021 at 7:04am

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ,बधाई स्वीकार करें I 

'दिल करीब और करीब यार के आना चाहे'---इस मिसरे को यूँ कर सकती हैं :-

"दिल क़रीं और क़रीं यार के आना चाहे "

2

Comment by Shyam Narain Verma on October 29, 2021 at 5:07pm
नमस्ते जी, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
Comment by Rachna Bhatia on October 29, 2021 at 9:53am

आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी, ग़ज़ल तक आने तथा अपनी राय रखने के लिए आभार ‌‌। आपके सुझाव अच्छे हैं। बस, सर् एक बार देख लें तो फेयर में सुधार करती हूँ। सादर।

Comment by Rachna Bhatia on October 29, 2021 at 9:51am

आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर्, फेसबुक पर ग़ज़ल पढ़ी थी,उसकी तक्तीअ करने पर यही समझ आया था।डाउट क्लीयर करने के लिए आभार ‌।

सर् , कृपया बाक़ी ग़ज़ल पर भी इस्लाह दे दें।

सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 28, 2021 at 8:43pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।

'दिल करीब और करीब यार के आना चाहे'  मिसरा चाहें तो यूँ कर सकते हैं :

'दिल करीब और करीब आप के आना चाहे'  (अलिफ़ वस्ल के साथ) 

'बात कड़वी है मगर बात है सच्ची "निर्मल"     मिसरे में  'बात' की पुनरावृत्ति है इसे यूंँ कह सकते हैं :

'बात कड़वी है मगर है बड़ी सच्ची "निर्मल"     सादर।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2021 at 8:06pm

//क़रीब यार में वस्ल करने की कोशिश की है//

'क़रीब यार' में अलिफ़ वस्ल कैसे होगा, अलिफ़ कहाँ है? :-)))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service