2122 - 2122 - 2122 - 212
मुझको पहलू में सुला लेना मेरे प्यारे वतन
अपने आँचल की हवा देना मेरे प्यारे वतन
आ रहा हूँ तुझसे मिलने जंग के मैदान से
अपनी बाहों में उठा लेना मेरे प्यारे वतन
आ मिलूंगा जब तुझे मैं बाज़ुओं में लेके तू
मुझको झूला भी झुला देना मेरे प्यारे वतन
प्यार करना माँ के जैसे चूमकर माथा मेरा
मुझको सीने से लगा लेना मेरे प्यारे वतन
ख़ाक अपनी तेरे क़दमों छोड़ जाता हूँ इसे
अपने ज़र्रों में मिला लेना मेरे प्यारे वतन
झूम कर आराइशों में मेरी यादों से कभी
अपना दामन मत छुड़ा लेना मेरे प्यारे वतन
याद करके जब मुझे तू रंग महफ़िल में भरे
सारी दुनिया को दिखा देना मेरे प्यारे वतन
गर मुझे वहशत में देखे तू कभी ऐ दिलनशीं
बस मुझे आग़ोश में लेना मेरे प्यारे वतन
आरज़ू-ए-सरफ़रोशी थी मेरे दिल में मुझे
अपने क़दमों में सजा लेना मेरे प्यारे वतन
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु आभार। सादर।
वाह सुंदर देशभक्ति से परिपूर्ण ...
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