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प्रति व्यक्ति आय

"हमारा देश तरक्की कर रहा है।प्रति व्यक्ति आय लगातार बढ़ी है।"अर्थशास्त्री ने ज्ञान बघाड़ा।
"तो लोगों के हाथ में भीख का कटोरा क्यों है?"समाजशास्त्री ने कील चुभोई।
"भीख का कटोरा?मतलब?"
"लोग मुफ्त का राशन खाने को मजबूर हैं।मंदिरों -मस्जिदों के सामने एक -एक सिक्के के लिए गुहार लगाते लोग नहीं दिखते आपको?" सुनकर अर्थशास्त्री जी मुंह फिरा चल पड़े।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

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Comment by Manan Kumar singh on September 10, 2022 at 11:50am

आभार आ॰ लक्ष्मण जी। नमन॥ 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2022 at 7:37pm

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।

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