12122 12122 12122 12122
तेरे ख्यालों के अंजुमन में हज़ार पहरे लगे हुए हैं
सजाये कैसे ग़ज़ल का दामन गुनाहों में हम रंगे गए हैं
हमारे जैसा उदास कोई हमें कहीं भी नहीं मिला पर
हमारे दुख से बड़े बहुत दुख ज़माने भर में भरे पड़े हैं
कभी नहीं वो कहेंगे हमसे के उनके दिल में है प्यार अब भी
सकार को भी जिया था हमने नकार को भी समझ रहे हैं
ये ज़िन्दगी की उदास खुशबू जो बस गयी है मेरी रगों में
ज़रा सा खुश हूँ मैं इसमें क्योंकि तुम्हारें ग़म भी घुले हुए हैं
कहाँ हो तुम दो जहां के मालिक हमारे दिल में अंधेरा करके
पुकार कर तेरा नाम कब से हमारे नाले भी थक चुके हैं
यहाँ से आगे का रास्ता अब कटेगा कैसे ये फिक्र है बस
खुदी की बेखुद तलाश में हम ख़ुदा से अपने बिछड़ गये हैं
तलाश है जाने अब हमें क्या ?, निगाहों को ये पता नहीं है
कभी नहीं जो मिलेगा तुमसे हम ऐसे रस्ते पे चल रहे हैं
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर साहब
ग़ज़ल पर बेशकीमती इस्लाह का हार्दिक आभार
सुधार के प्रयास जारी है
सादर
आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। आ. भाई समर जी से सहमत हूँ।
जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I
ये देख कर बहुत अफ़सोस होता है कि अभी तक आपको हिन्दी उर्दू शब्द ठीक से लिखना भी नहीं आते I
'तेरे ख्यालों के अंजुमन में हज़ार पहरे लगे हुए हैं'--इस मिसरे में 'के' को "की" कर लें 'अंजुमन' शब्द स्त्रीलिंग है I
'कभी नहीं वो कहेंगे हमसे के उनके दिल में है प्यार अब भी'---इस मिसरे में 'के' को "कि" कर लें I
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online