For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महावृक्ष बनकर लहराता

नफ़रत का पौधा

पत्ते हरे फूल केसरिया

लाल-लाल फल आते

प्यास लहू की लगती जिनको

आकर यहाँ बुझाते

सबसे ज्यादा फल खाने की

चले प्रतिस्पर्द्धा

किसमें हिम्मत इसे काट दे

उठा प्रेम की आरी

इसकी रक्षा में तत्पर है 

वानर सेना सारी 

कैसे-कैसे काम कराये  

निरी अंधश्रद्धा 

पंखों वाले बीज हुये हैं

उड़-उड़ कर जायेंगे

भारत के कोने-कोने में

नफ़रत फैलायेंगे

लोग लड़ेंगे

लोग मरेंगे 

रोयेगी वसुधा

रोपा इसको राजनीति ने

लेकिन खाद और पानी

वो देते जिनके घर बैठी

रक्तकमल पर लक्ष्मी

जनता मूरख समझ न पाये 

यह गोरखधंधा

--------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 275

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 4, 2023 at 3:09pm

आदरणीय धर्मेंद्र कुमार सिंह जी आदाब, उत्कृष्ट रचना / नवगीत हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी और मिथिलेश वामनकर जी की प्रतिक्रिया और प्रशंसा से इस में और चार चाँद लग गये हैं, पुन: बधाई। 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 2, 2023 at 8:22pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय Saurabh  जी। आपके उत्साहवर्धन हेतु हृदयतल से आभारी हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 22, 2023 at 4:41pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी, 

सहज कथ्य एवं सार्थक निर्वहन से यह नवगीत पठनीय बन पड़ा है।

तथा, विशिष्ट मनोदशा को शाब्दिक करती यह रचना अपने हेतु में सफल है। 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें, आदरणीय. 

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 16, 2023 at 12:39am

आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, इस उत्कृष्ट नवगीत हेतु हार्दिक बधाई और आभार. प्रतीक अपने भावों को प्रेषित करने में सफल हुए. सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service