For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या बात करें ?

गुफ़्तगु तो बहुत हैं मगर क्या बात करें,
ग़म ए ज़िंदगी बहुत है, मगर क्या बात करें।

कहते हैं दुःख बांटने से कम हो जाता है ,
मगर शब्द ही मुंह से न निकलें , फिर क्या बात करें।

ज़िंदगी ने सिखाया कि रोना नहीं है ,
मगर अश्क़ ही न थम पाएं , फिर क्या बात करें।

आप उनकी ख़ातिर मर-मर के जिये हैं ,
वो फिर भी न समझ पाएं , फिर क्या बात करें।

है बड़ी कुंद सी मेरी ये ज़िन्दगी ,
झूठे ही मुस्कुराये ,फिर क्या बात करें।

नाहक़ ही उन्हें कोई कुछ भी ना बताये,
किस्मत ही ऐसी पाई, फिर क्या बात करें।

ना जाना कभी, ना समझा कभी,
ग़र अब भी समझ जाएँ , फिर क्या बात करें ?

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 120

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 16, 2023 at 1:27am

आदरणीय सुधीर ठाकुर जी, इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. आपकी प्रस्तुति से गुजरते हुए महसूस हुआ कि आपकी कहन का अंदाज़ और झुकाव ग़ज़ल की तरफ है. संभवतः. ओबीओ पटल पर ग़ज़ल की कक्षा उपलब्ध है यदि आप चाहें तो पूरे अध्याय पढ़ जाएँ. आपके भावों और शब्दों को यदि ग़ज़ल में पिरोया जाता तो कुछ 212x4 में यूं ग़ज़ल कही जा सकती है. केवल उदाहरण के लिए- आपकी इस पंक्ति को आधार मानते हुए-

है बड़ी / कुंद सी / मेरी ये / ज़िन्दगी

212 / 212 / 212 / 212

गुफ़्तगू तो बहुत हम मगर क्या करें,
ज़िंदगी में कई गम मगर क्या करें

कहते गम बांटने से सदा होते कम,
लफ्ज़ ही तोड़ते दम मगर क्या करें

ज़िंदगी ने सिखाया कि रोना नहीं,
आँखों के पोर हैं नम मगर क्या करें

आप मर-मर के जिन के लिए जी रहे,
वो समझते रहे कम मगर क्या करें

है बड़ी कुंद सी मेरी ये ज़िन्दगी ,
झूठ ही आज हम-दम मगर क्या करें

इसलिए तो उन्हें कुछ बताते नहीं,,
हम रहे सारी शब् नम मगर क्या करें

ये न जाना न समझा कभी आपने
किसलिए आज पुरनम मगर क्या करें

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service