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जो सच है वही दिखाता है आईना.
कहाँ -कहाँ दाग जिस्म पर, दिखलाता है आईना.
जो सच है वही दिखाता है आईना.
चेहरे भले बदलते हैं, पर बदले ना आईना.
राजा-रंक या ऊँच-नीच का, भेद ना माने आईना.
सच्चाई का एक धर्म ही, मानता है आईना.
जो सच है वही दिखाता है आईना.
चाहे कोई कुछ भी कर ले, झूठ कभी ना बोले.
बुरा लगे या भला लगे, ये भेद सभी का खोले.
चेहरा गर हो दागदार तो, शरमाता है आईना.
जो सच है वही दिखाता है आईना.
दिन भर में लाखों को उनका, चेहरा दिखलाता है.
कहाँ- कहाँ है दाग लगा,ये सबको दिखलाता है.
मापतपुरी दाग मिटाओ, तोड़ता क्यों आईना.
जो सच है वही दिखाता है आईना.
गीतकार- सतीश मापतपुरी
मोबाइल- 9334414611

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Comment

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Comment by asha pandey ojha on August 2, 2010 at 10:11am
bahut khoob Satish ji jo sach hai wahee diklata hai aaina .. our log jo sach nahee dekhna chahte wo aaina dekhna chhod deten hain ... kyonki sach se logon ko peeda jo hotee hai ... khair aapne bahut khoob likha .. daad dungee
Comment by Sanjay Kumar Singh on July 25, 2010 at 2:07pm
Bahut khub satish jee, aapney to aaina ko hi aaina dikha diya, khubsurat rachna,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on July 25, 2010 at 10:26am
जो सच है वही दिखाता है आईना.
कहाँ -कहाँ दाग जिस्म पर, दिखलाता है आईना.
जो सच है वही दिखाता है आईना.

बहुत ही बढ़िया रचना है सतीश भैया.....सही बात है जो सच है वही दिखता है आईना...हमे आईने से सीख भी लेनी चाहिए की जैसे आईना आपको हूबहू आपकी शकल दिखता है तो क्यू ना हम भी समाज मे जैसी अपनी सॉफ छावी को दिखाए.....
Comment by Rash Bihari Ravi on July 23, 2010 at 9:31pm
bahut badhia sathish bhai

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 22, 2010 at 9:45am
सतीश भईया बहुत ही सुंदर रचना, एक प्रसिद्ध गीत की पक्ति याद आती है आपकी रचना पढ़कर ---- आईना वही रहता है , चेहरे बदल जाते हैं,
हमारे साथ दिक्कत क्या है कि हम अपने को नहीं बदलते बल्कि आईना ही बदलने लगते हैं, बहुत सुंदर कृति , धन्यवाद,

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